UC Browser: चीनी कंपनी के ऐप यूसी ब्राउजर पर अब गूगल की मार, पहले नरेंद्र मोदी सरकार ने जताया था जासूसी का शक
दुनिया भर में करीब 500 मिलियन लोगों द्वारा डाउनलोड किया जाने वाला यूसी ब्राउजर अचानक से गूगल प्ले स्टोर में दिखना बंद हो गया है। ऐसा कहा जा रहा है कि इंडिया में काफी कम समय में पॉपुलर होने वाले यूसी ब्राउजर को गूगल ने अपने प्ले स्टोर से हटा दिया है। हालांकि यूसी ब्राउजर मिनी अभी भी गूगल प्ले स्टोर में दिखाई दे रहा है, लेकिन यूसी ब्राउजर एप्लीकेशन नहीं दिख रहा है। फिलहाल गूगल और यूसी वेब के द्वारा ब्राउजर हटाए जाने को लेकर कोई बयान नहीं आया है, लेकिन आशंका जताई जा रही है कि गूगल ने यह कदम चीन को डाटा भेजने को लेकर यूसी ब्राउजर एप्लीकेशन पर लगे आरोपों की वजह से उठाया है।
यूसी ब्राउजर एप्लीकेशन कुछ दिनों पहले ही भारत सरकार की नजरों में आया था, नरेंद्र मोदी सरकार ने शंका जाहिर की थी कि यूसी द्वारा चीन को जानकारियां भेजी जा रही हैं। ऐसा कहा गया था कि फोन में से इस एप्लीकेशन को हटाने के बाद भी यूसी यूजर्स के डाटा को पा सकता है। फिलहाल तो हैदराबाद की एक सरकारी लैब (सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग) में इस मामले की जांच की जा रही है। हालांकि एप्पल स्टोर में अभी भी यूसी ब्राउजर एप्लीकेशन डाउनलोडिंग के लिए मौजूद है।
भारत में काफी पॉपुलर हो चुका यूसी ब्राउजर मोबाइल एप्लीकेशन, चीनी कंपनी अलीबाबा के स्वामित्व वाली यूसी ब्राउजर के तहत काम करता है। इस ब्राउजर की खासियत यह है कि इसके इस्तेमाल में काफी कम डाटा खर्च होता है। इसलिए यूजर्स मोबाइल डाटा की फिक्र करे बिना ही इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। इस महीने की शुरुआत में ही यूसी ने बताया था कि पूरे विश्व भर में इसके करीब 500 मिलियन डाउनलोड हो चुके हैं। इस साल जून में जारी की गई इंटरनेट ट्रेंड्स की रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में सबसे ज्यादा डाउनलोड किए जाने वाले एप्लीकेशन में यूसी ब्राउजर छठवें स्थान पर है। एंड्राइड अथॉरिटी की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि भारत में हर महीने करीब 100 यूजर्स यूसी वेब का इस्तेमाल करते हैं।
ऐसा नहीं है कि पहली बार प्राइवेसी को लेकर यूसी पर सवालिया निशान लगाया गया है, बल्कि साल 2015 में भी कैनेडियन टेक्नोलॉजी रिसर्च ग्रुप सिटीजन लैब की रिपोर्ट में यूसी एप्लीकेशन पर यूजर्स की व्यक्तिगत जानकारी (लोकेशन, मोबाइल नंबर, फोन की डिटेल) किसी थर्ड-पार्टी एप्लीकेशन को उपलब्ध कराने का आरोप लगा था।