संयुक्त राष्ट्र ने की कश्‍मीर में सीर‍िया जैसी स्‍थ‍ित‍ि वाली जांच की स‍िफार‍िश, भारत ने किया खार‍िज

भारत ने कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की संयुक्त राष्ट्र रिपोर्ट को ‘भ्रामक, पक्षपातपूर्ण और प्रेरित’’ बताकर आज (14 जून) इसे खारिज कर दिया। विदेश मंत्रालय ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि रिपोर्ट पूरी तरह से पूर्वाग्रह से प्रेरित है और गलत तस्वीर पेश करने का प्रयास कर रही है। मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि यह देश की सम्प्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन है। बता दें कि आज जारी रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने भारत और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में कथित मानवाधिकारों के उल्लंघन की बात कही है और इस बारे में अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की है। यूएन ने अपने रिपोर्ट में बेहद ही विवादास्पद तरीके से भारत को कहा है कि उसे ‘कश्मीर के लोगों के आत्म निर्धारण को सम्मान करना चाहिए।’

संयुक्त राष्ट्र की मानवाधिकार संस्था के प्रमुख जैद राद अल हुसैन ने ‘जुलाई 2016 से हुई सभी नागरिक मौतों’ की जांच की मांग की है। अल हुसैन ने कहा कि भारत सरकार को जम्मू कश्मीर में सुरक्षा बलों द्वारा शक्ति के अत्यधिक इस्तेमाल और पैलेट गनों के इस्तेमाल पर तुरंत रोक लगानी चाहिए। बता दें कि कश्मीर को लेकर संयुक्त राष्ट्र की ये पहली ऐसी रिपोर्ट है। जैद राद अल हुसैन ने मानव अधिकार परिषद से मांग की है कि कश्मीर में मानवाधिकारों के कथित उल्लंघन की जांच के लिए एक बड़ी अंतरराष्ट्रीय जांच आयोग बनाई जाए। बता दें कि किसी भी मसले की जांच के लिए संयुक्त राष्ट्र द्वारा जांच आयोग बनाना इस संस्था की ओर से उच्चतम स्तर की जांच होती है, ऐसे आयोग सामान्य तौर पर सीरिया जैसे हालातों की जांच करने के लिए बनाये जाते हैं।

भारत के विदेश मंत्रालय ने इस रिपोर्ट पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘भारत इस रिपोर्ट को खारिज करता है। यह ‘भ्रामक, पक्षपातपूर्ण और प्रेरित है। हम ऐसी रिपोर्ट की मंशा पर सवाल उठाते हैं।’’ इसमें कहा गया है कि इस रिपोर्ट को काफी हद तक अपुष्ट सूचना को चुंनिंदा तरीके से एकत्र करके तैयार किया गया है। मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट भारत की सम्प्रमुता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है। सम्पूर्ण जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न हिस्सा है। पाकिस्तान ने भारत के इस राज्य के एक हिस्से पर अवैध और जबरन कब्जा कर रखा है।’’

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