UP: ठाकुरों के गांव से बारात ले जाने पर अड़ा था दलित दूल्हा, प्रशासन ने हाई कोर्ट में पेश किया रूट का नक्शा
भारत बंद के दो दिन बाद ही पश्चिमी उत्तर प्रदेश में दलितों और उच्च जाति के बीच टकराव का मामला सामने आया है। यह मामला कासगंज जिले का है। हाथरस निवासी संजय कुमार की 20 अप्रैल को कासगंज के निजामपुर गांव की रहने वाली शीतल से शादी होने वाली है। शीतल के परिजन बारात को गांव के बीच से ले जाना चाहते हैं, लेकिन ग्रामीण इसके लिए तैयार नहीं हैं। संजय और शीतल के परिजनों ने स्थानीय प्रशासन से हस्तक्षेप करने की मांग की थी। निजामपुर गांव के लोगों (ग्राम समुदाय) ने संजय के परिजन को शीतल के घर से तकरीबन 80 मीटर दूर शादी समारोह आयोजित करने को कहा था। संजय के परिजनों का कहना है कि इतनी कम दूरी में बारात में शामिल लोग न तो पूरा लुत्फ उठा सकेंगे और न ही घोड़ी चढ़ने की रस्म पूरी हो सकेगी। पुलिस-प्रशासन के रवैये से नाखुश संजय ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में प्रार्थना पत्र देकर उचित निर्देश देने की मांग की थी, जिसे अदालत ने ठुकरा दिया था। हाई कोर्ट ने इसका निस्तारण करते हुए इसे कानून-व्यवस्था का मामला करार दिया था। उच्च न्यायालय ने स्थानीय पुलिस में मामला दर्ज कराने या संबंधित अदालत में याचिका दायर करने को कहा था। कासगंज पुलिस ने बारात ले जाने के संभावित रूट का नक्शा 21 मार्च को कोर्ट में पेश किया था। इसके अनुसार, बारात को 800 मीटर तक की दूरी तय कर लड़की पक्ष के घर तक पहुंचना होगा। निजामपुर गांव ठाकुर बहुल है।
पूरे गांव में बारात घुमाने की चाहत: संजय जाटव समुदाय से आते हैं। वह बारात को पूरे गांव में घुमाते हुए दुल्हन के घर तक ले जाना चाहते हैं। इस बीच में ऊंची जाति के लोगों के घर भी पड़ते हैं। संजय ने कहा, ‘मैं एक खास रास्ते से बारात ले जाने को लेकर दृढ़ हूं। प्रशासन को मेरी मदद करनी चाहिए क्योंकि मैं भी भारत का नागरिक हूं।’ संजय का आरोप है कि शादी के दौरान वह घोड़ी पर चढ़ना चाहते हैं, लेकिन उच्च जाति के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। वहीं, पुलिस ने कोर्ट में दलील दी थी कि इस मामले में गांव की परंपरा को तवज्जो दिया जाना चाहिए। कासगंज प्रशासन ने 21 मार्च को दोनों समुदायों के 10-10 प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर गांव में शांति-व्यवस्था बनाए रखने लिए बांड देने को कहा था।