UP शिया वक्फ बोर्ड ने कहा- रविशंकर बनें राम मंदिर विवाद में मध्यस्थ, हिंदू महासभा बोली- कोई अधिकार नहीं
उत्तर प्रदेश के शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन सैयद वसीम रिजवी ने मंगलवार को लिविंग ऑफ आर्ट के संस्थापक श्री श्री रविशंकर से मुलाकात की और उनसे राम जन्म भूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में मध्यस्थता करने की अपील की। लेकिन रिजवी की रविशंकर के साथ मुलाकात के कुछ देर बाद ही हिंदू महासभा ने इसका विरोध किया। हिंदू महासभा ने बयान जारी करके कहा कि राम मंदिर के मामले में मध्यस्थता करने का आध्यात्मिक गुरु को कोई अधिकार नहीं है। साथ ही उन्होंने इस कदम को राजनीति से प्रेरित भी करार दिया।
रविशंकर से मुलाकात के बाद यूपी शिया वक्फ बोर्ड के प्रमुख ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि पूरा देश श्री श्री रविशंकर का सम्मान करता है और उन पर भरोसा भी करता है। रिजवी ने कहा, ‘हमने श्री श्री रविशंकर से अपील की है कि वे इस विवाद में मध्यस्थता करें। इसके साथ ही हमने उनसे अपील की है कि जो समझौता चाहते हैं, उनसे बातचीत होनी चाहिए। जो लोग देश में शांति चाहते हैं, वे इसका स्वागत कर रहे हैं। लेकिन जो लोग देश में हिंसा का माहौल चाहते हैं, वे इस कदम के खिलाफ हैं।’ साथ ही रिजवी ने दावा किया कि अयोध्या में जहां राम मंदिर है, वहां कोई मस्जिद नहीं थी। उन्होंने कहा कि अयोध्या में बहुत सारी मस्जिदें हैं, जहां नमाज पढ़ी जा सकती है। भारत में राम के नाम पर झगड़ा नहीं होना चाहिए।
इसके बाद हिंदू महासभा ने बयान जारी करके राम मंदिर मामले में रविशंकर के मध्यस्थता करने का विरोध किया है। हिंदू महासभा के राष्ट्रीय सचिव मुन्ना कुमार शर्मा ने बयान में कहा, ‘जब वे इस मामले में कभी पक्षकार नहीं रहे तो मध्यस्थ कैसे बन सकते हैं? श्री श्री रविशंकर कभी भी श्रीराम जन्मभूमि विवाद से जुड़े नहीं रहे। उन्होंने ना ही कभी मंदिर बनाने की कोशिश की और किसी भी आंदोलन से भी नहीं जुड़ रहे हैं।’ इसके साथ ही शर्मा ने कहा कि रविशंकर तो कभी रामलला के दर्शन करने भी नहीं पहुंचे। इस कदम को राजनीति से प्रेरित बताते हुए शर्मा ने कहा कि वे साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी को जीत दिलाने के लिए इस मुद्दे को ठंडे बस्ते में डालना चाहते हैं।