यूपी डीजीपी सुलखान सिंह बोले- हमसे ज्यादा ईमानदार और बेहतर थी ब्रिटिश पुलिस

उत्तर प्रदेश के डीजीपी सुलखान सिंह का कहना है कि ब्रिटिश पुलिस कई मामलों में खासकर व्यवहार और ईमानदारी के मामले में आज की पुलिस से कहीं ज्यादा बेहतर है। टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए इंटरव्यू के दौरान डीजीपी ने यह बात कही है। अगले महीने 31 दिसबंर को डीजीपी पद से रिटायर हो रहे सिंह ने प्रदेश पुलिस के काम करने के तरीके पर चिंता जताई। इस मामले पर बात करते हुए सिंह ने कहा कि ब्रिटिश पुलिस के खिलाफ पूरे स्वतंत्रता संग्राम और भारतीयों के संघर्ष की बात करें तो आपको कई उदाहरण मिल सकते हैं लेकिन आपको उनमें एक भी फर्जी केस, फर्जी एंकाउंटर, फर्जी सबूत और फर्जी जांच नहीं मिलेगी। बता दें कि सुलखान सिंह ने पुलिस विभाग की लाइब्रेरी और राज्य अभिलेखों से रिसर्च कर भारतीय पुलिस और ब्रिटिश पुलिस के काम करने के तरीकों का विश्लेषण किया है।

सिंह ने कहा कि अगर ब्रिटिश विदेशी और क्रूर थे फिर भी आचार संहिता का पालन करते थे। ब्रिटिश जेलों में अंग्रेजी जेलर कैदियों के स्वास्थ्य और साफ-सफाई का बहुत ध्यान रखता था जबिक कई इनमें भारतीय कैदी थे। सिंह ने कहा कि आज की पुलिस के मुकाबले ब्रिटिश पुलिस ज्यादा बेहतर थी यह स्वीकार करना कठिन है लेकिन सच्चाई यहीं है। जेल में कैदियों को गुड़ दिया जाता था ताकि जेल की सफाई के दौरान उनके गले और फेफड़ो को सुरक्षित रखा जा सके। इतना ही नहीं जो कैदी रस्सी बनाने का कार्य किया करते थे, उन्हें सरसों का तेल दिया जाता था जिससे कि वे अच्छे से अपने हाथों की मसाज कर स्किन की बीमारी से बच सकें। आज जब भारतीयों के हाथ में प्रशासन है, जेल अपनी क्षमता से तीन गुना ज्यादा भरे हुएं है। कैदियों को जेल में सोने के लिए पर्याप्त जगह भी नहीं मिल पाती। नींद पूरी न हो पाने के कारण कई कैदी जेल में ही बीमार पड़ जाते हैं।

अंग्रेज भले ही तानाशाह और विदेशी थे लेकिन कई तरीकों से वे आज के समय के अनुसार हमसे बेहतर थे। अगर इन सब बातों पर गौर किया जाए तो निश्चित तौर पर यह कहा जा सकता है कि जेल प्रशासन भारतीयों के हाथों से ज्यादा अंग्रेजो के हाथों में बेहतर था। काकौरी केस का उदाहरण देते हुए सिंह ने कहा कि ब्रिटिश पुलिस ने आरोपी के परिवार के किसी भी सदस्य को इस केस के चलते प्रताड़ित नहीं किया था जबकि आज की पुलिस संदिग्ध होने पर ही किसी के घर में बिना एफआईआर और शिकायत के घुस जाती है। यह बहुत ही शर्मिंदगी भरा है।

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