यूपी के आईजी पर आतंकी को छुड़वाने के लिए 45 लाख लेने का आरोप, योगी आदित्यनाथ सरकार ने बनाई जांच कमेटी

पंजाब की नाभा जेल तोड़ने के मामले के मास्टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरा को छोड़ने के लिए उत्तर प्रदेश पुलिस के अधिकारी द्वारा कथित रूप से बड़ी रकम लेने के मामले की जांच अब उच्चस्तरीय समिति करेगी। मामले को गंभीरता से लेते हुए शासन ने पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच का निर्णय लिया है। उत्तर प्रदेश प्रमुख सचिव गृह अरविंद कुमार के मुताबिक, एडीजी स्तर के अधिकारी की अगुवाई में उच्चस्तरीय समिति प्रकरण की जांच करेगी। उत्तर प्रदेश पुलिस के डीजीपी सुलखान सिंह ने एडीजी कानून-व्यवस्था आनंद कुमार की अगुआई वाली समिति को निष्पक्ष जांच की हिदायत दी है।

नाभा जेल ब्रेक कांड में पंजाब पुलिस मास्टरमाइंड गोपी घनश्यामपुरा की तलाश कर रही है। बीते 12 सितम्बर को सोशल मीडिया पर गोपी के लखनऊ में पकड़े जाने की बात वायरल हुई, लेकिन किसी जांच एजेंसी ने इसकी पुष्टि नहीं की। इसके बाद 16 सितम्बर को एटीएस ने अमनदीप, हरजिंदर सिंह व संदीप तिवारी उर्फ पिंटू को पकड़कर पंजाब पुलिस को सौंप दिया। संदीप तिवारी साल 2012 में कांग्रेस के टिकट पर विधान सभा चुनाव लड़ चुका है। पिछले साल 27 नवंबर को हुए नाभा जेल ब्रेक मामले की जांच पंजाब और यूपी पुलिस मिलकर रही हैं। नाभा जेल में कम से कम 10 हथियारबंद आतंकी घुस गये थे और उन्होंने छह कैदियों को रिहा कराकर भगा दिया।

इस बीच खबर आई कि तीनों के पकड़े जाने से पहले ही पिंटू के जरिये गोपी को छुड़ाने के लिए उप्र पुलिस के आईजी स्तर के एक अधिकारी से संपर्क साधा गया था। गोपी को छोड़ने के लिए एक करोड़ रुपये की डील हुई थी, जिसके बाद करीब 45 लाख रुपये में सौदा तय हुआ। कहा गया कि सुलतानपुर के एक होटल में डील से जुड़े लोग आपस में मिले थे, जिसकी भनक लगने पर पंजाब पुलिस ने आईबी को सूचना दी।
कहा जा रहा है कि पंजाब पुलिस के पास गोपी को छुड़ाने को लेकर हुई बातचीत का ऑडियो भी मौजूद है। ऐसे में मामला गंभीर होते देख प्रदेश सरकार ने पूरे प्रकरण की उच्च स्तरीय जांच का निर्णय लिया है।

 

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