रोहिंग्या मुस्लिमों पर अत्याचार: म्यांमार सेना के खिलाफ अमेरिका ने उठाया बड़ा कदम
अमेरिका ने म्यांमार की उन ईकाइयों और अधिकारियों को दी जा रही सैन्य सहायता वापस लेने का ऐलान किया है जो रोहिंग्या मुसलमानों के खिलाफ हिंसा में शामिल थे। इस हिंसा की वजह से बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को देशछोड़ कर जाना पड़ा है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नॉर्ट ने दंडात्मक कदमों का ऐलान करते हुए कहा, ”रखाइन प्रांत में हाल ही में हुई हिंसा की वजह से रोहिंग्या तथा अन्य समुदायों को जिस तरह की तकलीफ उठानी पड़ी है, उसके लिए हम गहरी चिंता प्रकट करते हैं।” उन्होंने कहा कि यह अनिवार्य हो गया है कि ज्यादतियों के लिए जिम्मेदार राज्येत्तर तत्वों सहित लोगों तथा संस्थाओं को जवाबदेह ठहराया जाए।
रखाइन प्रांत में हिंसा की वजह से बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुस्लिम देश छोड़कर बांग्लादेश चले गए जिससे वहां (बांग्लादेश में) गहन मानवीय संकट उत्पन्न हो गया है। विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हीथर नॉर्ट ने कहा कि अमेरिका अपने मित्रों और सहयोगियों के साथ जवाबदेही संबंधी विकल्प पर विचार कर रहा है। हीथर ने एक बयान में कहा कि अमेरिका लोकतंत्र की ओर म्यांमार के बढ़ने के साथ ही रखाइन प्रांत में मौजूदा संकट को दूर करने के प्रयासों में मदद करता रहेगा।
नोर्ट ने कहा, “हालांकि म्यांमार की सरकार और इसके सशस्त्र बलों को सुरक्षा और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए तत्काल कदम उठाने होंगे।” रखाइन प्रांत में सेना की कार्रवाई के बाद म्यांमार से अब तक 600,000 रोहिंग्या मुस्लिम अपना घर छोड़कर सीमा पार कर बांग्लादेश चले गए। यह संकट अगस्त महीने के आखिर में तेज हुआ है। म्यांमार के सुरक्षा बलों पर उग्रवादियों के हमलों के बाद सेना ने इस समुदाय पर कार्रवाई शुरू की थी। नोर्ट ने कहा कि अमेरिका ने म्यांमार की सेना के मौजूदा और पूर्व नेतृत्व पर लगे यात्रा प्रतिबंध हटाने पर विचार करना 25 अगस्त से बंद कर दिया है।
वहीं, सोमवार को खबर आई थी कि संयुक्त राष्ट्र अधिकारियों, सरकार के मंत्रियों और अधिकार समूहों से जुड़े नेता एक सम्मेलन का आयोजन कर रहे हैं जिसका उद्देश्य बांग्लादेश में रोहिंग्या शरणार्थियों के लिए रकम जुटाना है। यूरोपीय संघ, कुवैत सरकार और संयुक्त राष्ट्र की प्रवासी, शरणार्थी और मानवीय सहायता समन्वय एजेंसियों का उद्देश्य फरवरी तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए 43.4 करोड़ अमेरिकी डॉलर की सहायता के लक्ष्य को हासिल करना है। अधिकारियों ने कहा था कि अब तक इस लक्ष्य का महज एक चौथाई ही जुट पाया है।