सेना की टेस्टिंग में फटा अमेरिकी तोप का मुंह, यूएस द्वारा भारतीय गोला-बारूद में बताई गई खामी

भारत और अमेरिकी सेना के संयुक्त अभ्यास के दौरान अमेरिकी तोप एम 777 अल्ट्रा लाइट हॉवित्जर का मुंह ही फट गया। यह अभ्यास दोनों देशों की ज्वाइंट इन्वेस्टिगेशन टीम की निगरानी में पोखरन स्थित फायरिंग रेंज में चल रहा था। इस दुर्घटना के बाद अमेरिकी और भारतीय सैन्य अधिकारियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप शुरू हो गया। अमेरिकी रक्षा विभाग के अधिकारियों ने जहां भारतीय गोला-बारूद में खराबी बताई, वहीं कहा कि आर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड की ओर से सही तरह से विस्फोटक नहीं तैयार कराए जा रहे। इन आरोपों को भारतीय सेना ने बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया।

दरअसल,भारत ने नवंबर 2016 में उत्तरी और पूर्वी सीमाओं की पहाड़ियों पर तैनाती के लिए 145 एम 777 अल्ट्रा लाइट लाइट हॉवित्जर तोपें खरीदने का सौदा किया था। 1980 के दशक में स्वीडिश बोफोर्स तोपों के बाद से यह पहला बड़ा सौदा था। बोफोर्स तोपों को लेकर बहुत पहले देश में राजनीतिक विवाद पैदा हो चुका है। 5070 करोड़ रुपये में अमेरिका के साथ हुई इस डील के बाद भारत को तोपों की सप्लाई 2021 तक पूरी होगी। इसमें से दो एम 777 तोपों पिछले साल मई में भारत आ चुकी हैं।

इंडियन एक्स्प्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक घटना दो सितंबर 2017 को बताई जाती है। जब अमेरिकी से मिली दो में से एक तोप को फायरिंग में शामिल किया गया। पांचवी बार फायरिंग के समय तोप का मुंह अचानक क्षतिग्रस्त हो गया। जेआईसी में शामिल भारतीय ऑर्डिनेंस फैक्ट्री और सेना के अधिकारियों, अमेरिकी रक्षा विभाग ने कारणों की जांच शुरू की। अब तक जेआइसी की पांच बैठकें हो चुकी हैं, मगर कोई निष्कर्ष नहीं निकल सका है। अमेरिकी अधिकारियों ने दावा किया कि सही विस्फोटक तैयार नहीं था, जिसे भारतीय अधिकारियों ने अस्वीकार कर दिया।
जेआईसी की छठीं बैठक मंगलवार और बुधवार को होनी है।जिससमें फायरिंग के दौरान अमेरिकी तोप का मुंह क्षतिग्रस्त होने की फिर से जांच होगी। इंडियन एक्सप्रेस को आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि जेआईसी की मीटिंग में सभी अफसरों को अपने विचार रखने को कहा गया है। ताकि फायरिंग के दौरान हुई दुर्घटना का सच बाह आ सके। अगर जेआईटी तोप दुर्घटना के कारणों का पता लगाने में सफल हुई तो फायरिंग टेबल में आगे के परीक्षण की तिथि निर्धारित होगी। बता दें कि पहली की सूची के मुताबिक फायरिंग की प्रक्रिया सितंबर के आखिर तक पूरी होनी है।

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