उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने खुद को घोषित किया गाय का लीगल गार्जियन, जारी किए 31 निर्देश

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार (13 अगस्त, 2018) को कहा कि वह राज्य में गायों के कानूनी अभिभावक (लीगल गार्जियन) के रूप में काम करेगा। इसके अलावा राज्य सरकार को गायों से जुड़े 31 निर्देश जारी किए हैं। इसमें हर 25 गावों के बीच एक शेल्टर खोलना शामिल है। उन लोगों के खिलाफ भी केस दर्ज करने को कहा है जो अपने मवेशियों को छोड़ देते हैं। राज्य में गोवध और गोमांस की बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। अदालत ने गाय, बछड़ा और बैलों के वध के लिए उनके परिवहन और उनकी बिक्री पर भी प्रतिबंध लगा दिया।

इस संबंध में दायर एक जनहित याचिका में कहा गया है कि रूड़की के एक गांव में कुछ लोगों ने वर्ष 2014-15 में पशुओं का वध करने और मांस बेचने की अनुमति ली थी जिसका बाद में कभी नवीनीकरण नहीं हुआ। याचिका में कहा गया है कि हालांकि, अब भी कुछ लोग गायों का वध कर रहे हैं और गंगा में खून बहा रहे हैं। यह न केवल कानून के खिलाफ है बल्कि यह गांव के निवासियों के स्वास्थ्य के लिए भी खतरा है।

मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी की खंडपीठ ने पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 के प्रावधानों के तहत आदेशों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के आदेश दिए। न्यायालय ने उत्तराखंड गौवंश संरक्षण अधिनियम 2007 की धारा सात के तहत सड़कों, गलियों और सार्वजनिक स्थानों पर घूमते पाए जाने वाले मवेशियों के मालिकों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज करने को कहा।

आदेश में कहा गया है कि मुख्य अभियंता, अधिशासी अधिकारी और ग्राम प्रधान यह सुनिश्चित करेंगे कि गाय और बैल समेत कोई आवारा मवेशी उनके क्षेत्र में सडकों पर न आए और ऐसे पशुओं को सड़कों से हटाते समय उन पशुओं को अनावश्यक दर्द और कष्ट न सहना पड़े।

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