गर्मी तथा तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की रेकॉर्ड तादाद से चरमराई उत्तराखंड की यातायात व्यवस्था

इस बार गर्मियों में उत्तराखंड की यातायात व्यवस्था बुरी तरह चरमरा गई है। सूबे में बीते दो महीने में तीर्थयात्रियों और पर्यटकों की तादाद रेकॉर्ड तोड़ रही। एक सर्वे के मुताबिक इस बार ढाई महीनों में उत्तराखंड के प्रमुख तीर्थ स्थलों और पर्यटन स्थलों में तीर्थयात्री व पर्यटकों की तादाद 3 से 4 करोड़ के बीच रही। उत्तराखंड के तीर्थ स्थल और पर्यटक स्थल सड़क जाम की समस्या से जूझ रहे हैं। जबकि नैनीताल हाईकोर्ट ने भी राज्य सरकार को सीजन के दौरान सड़क जाम की स्थिति से निपटने के लिए पुख्ता इंतजाम करने के निर्देश दिए थे।

रुड़की से हरिद्वार की सड़क मार्ग की दूरी 31 किलोमीटर है जिसे तय करने में यात्रियों को बसों और कारों से 5 घंटे तक लगे। वहीं हरिद्वार से ऋषिकेश की दूरी 24 किलोमीटर है। जिसे तय करने में यात्रियों को छह घंटे तक लग जाते हैं। हरिद्वार से देहरादून की सड़क मार्ग की दूरी 60 किलोमीटर है यह दूरी तय करने में सात घंटे लग रहे हैं। नैनीताल में इस दफा पर्यटकों और उनके वाहनों की संख्या इतनी ज्यादा हो गई थी कि वहां पुलिस प्रशासन को नैनीताल में पार्किंग फुल का बोर्ड 30-35 किलोमीटर पहले हल्द्वानी-कालाढूंगी-काठगोदाम के सड़क मार्ग पर लगाना पड़ा और नैनीताल जिला प्रशासन को वहां आने वाले यात्रियों के वाहनों को हल्द्वानी व कोठगोदाम में रोकना पड़ा।

उत्तराखंड राज्य को बने 18 साल हो चुके हैं। परंतु आज तक सूबे की कोई भी सरकार पर्यटन नीति नहीं बना सकी है। जबकि राज्य सरकार उत्तराखंड के पर्यटन को उद्योग का दर्जा देकर सूबे की आमदनी बढ़ाने का दावा करती है। परंतु धरातल पर वास्तविकता कुछ और ही है। जबसे जम्मू-कश्मीर में हालात बिगड़े हैं, तब से वहां जाने वाले पर्यटक उत्तराखंड आने लगे हैं। और बीते एक दशक से तो उत्तराखंड में पर्यटकों की तादाद तेजी से बढ़ी है। 2013 में केदार आपदा के बाद चार साल तक पर्यटकों ने सूबे से मुंह मोड़े रखा था। परंतु पिछले साल से पर्यटकों का रुझान उत्तराखंड के नैनीताल, हरिद्वार, मंसूरी, ऋषिकेश, लैंसडाउन की तरफ बढ़ा है। परंतु राज्य सरकार तीथर्यात्रियों व पर्यटकों के लिए समुचित बंदोबस्त करने में नाकाम रही। 18 साल पहले राज्य गठन के वक्त उत्तराखंड राज्य में पंजीकृत वाहनों की तादाद 45 हजार थी, जो आज बढ़कर 25 लाख हो गई है। और चार धाम यात्रा के सीजन के समय देश के अन्य राज्यों से आने वाले तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के वाहनों की तादाद अलग होती है जिस वजह से सड़क जाम की स्थिति बन जाती है।

छोटी पड़ गई हैं सूबे की सड़कें

राज्य सरकार तीर्थ स्थल ऋषिकेश, हरिद्वार, बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमनौत्री, नीलकंठ धाम और पर्यटन स्थलों नैनीताल, मसूरी, रानीखेत, लैंसडौन में वाहनों की पार्किंग के लिए समुचित व्यवस्था नहीं कर पाई। साथ ही दिल्ली, रुड़की, हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश राष्ट्रीय राजमार्ग आधा अधूरा पड़ा होने से तीर्थयात्रियों और पर्यटकों को जाम की समस्या से जूझना पड़ा। बीते नौ सालों से यह राष्ट्रीय राजमार्ग बन रहा है। शनिवार और रविवार को छुट्टी होने से लोगों के दिल्ली, हरिद्वार देहरादून-ऋषिकेश और हल्द्वानी, काठगोदाम और नैनीताल सड़क मार्ग पर जाम एक भारी मुसीबत बन जाता है। जिसमें दिल्ली से हरिद्वार-ऋषिकेश देहरादून जाने वाले यात्रियों के लिए यह मार्ग सिरदर्द बना हुआ है। इन दिनों तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों के वाहनों की तादाद इतनी ज्यादा होती है कि यहां की सड़कें छोटी पड़ जाती हैं।

इस बार सूबे में चार से पांच करोड़ तीर्थयात्रई व पर्यटक आए और वाहनों की तादाद भी तेजी से बढ़ी। जबकि सड़कों का चौड़ीकरण वाहनों की वृद्धि दर के हिसाब से नहीं हुआ है, न ही पार्किंग की व्यवस्था हो पाई। इससे सड़क जाम की स्थिति सीजन के समय खड़ी हो जाती है। पुलिस परिश्रम करके जाम खुलवाने का बंदोबस्त एक हद तक ही कर सकती है।

-उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अनिल रतूड़ी

उत्तराखंड सरकार तथा प्रशासन को इस बार चार धाम यात्रा के दौरान तीर्थयात्रियों के लिए अलग से विशेष सुविधाएं देनी चाहिए थी । क्योंकि इस बार चार धाम यात्रा के दौरान ज्येष्ठ मास में अधिक मास-पुरुषोत्तम मास पड़ने की वजह से तीर्थयात्रियों की तादाद बहुत ज्यादा आने की उम्मीद थी।

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