रोमन कैथोलिक पादरियों ने नर्क में जाने का डर दिखा किया 1000 से ज्यादा बच्चों का बलात्कार और यौन उत्पीड़न
पेंसिल्वेनिया में एक ग्रैंड ज्यूरी ने अपनी जांच में पाया है कि राज्य में रोमन कैथोलिक पादरियों ने धार्मिक अनुष्ठानों, चिह्नों और नर्क में जाने की धमकी देकर 1000 से ज्यादा बच्चों का यौन उत्पीड़न और बलात्कार किया। देश के शीर्ष अभियोजक ने इसे ‘‘धर्म का इस्तेमाल हथियार की तरह करना’’ बताया है। मंगलवार को जारी इस 884 पन्ने की जांच रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि पादरियों ने बच्चों के धार्मिक विश्वास और चर्च में विश्वास का इस्तेमाल यौन शोषण और अपराध के बाद उन्हें चुप कराने के लिए किया। इस रिपोर्ट में पादरियों द्वारा प्रताड़ित किए गए लोगों ने स्तब्ध कर देने वाली घटनाओं का जिक्र किया है।
रिपोर्ट के अनुसार एक पादरी ने एक पीड़ित को ‘प्रार्थना अवस्था’ में रस्सियों से बांध दिया और जब उसने यौन संबंध बनाने से इंकार कर दिया तो इससे पादरी गुस्सा हो गया और उसने सात इंच की क्रूसफिक्स (क्रॉस के चिह्न वाली) छड़ी का इस्तेमाल उसका यौन उत्पीड़न करने के लिया किया। वहीं एक अन्य पीड़ित ने बताया कि पादरी ने धातु की छड़ी का इस्तेमाल उसे पीटने के लिए किया। इसके अलावा रिपोर्ट में एक अन्य पीड़ित का जिक्र है जिसे चार पादरियों ने ईसा की मुद्रा में नंगे खड़ा करके उसकी तस्वीरें खिंची।
रिपोर्ट में खुलासा हुआ कि गलतियों को स्वीकार करने वाले ‘कन्फेशन’ प्रक्रिया का इस्तेमाल पादरियों ने बच्चों को प्रताड़ित करने के अवसर के रूप में किया। रिपोर्ट में बताया गया कि 1940 के बाद से 1,000 से अधिक बच्चों का यौन उत्पीड़न पादरियों ने किया। इस मामले में सिर्फ दो पादरियों पर आरोप लगाए गए हैं क्योंकि इनमें से ज्यादातर को पिछले कई वर्षों में दोषी ठहराया जा चुका है। वहीं 100 से ज्यादा आरोपियों की मौत हो चुकी है और कई अन्य सेवानिवृत्त हैं।
एटार्नी जनरल जोश शापिरो ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में ग्रैंडज्यूरी की रिपोर्ट को पेश करते हुए बताया, ‘‘ हर डायोसिस में हमलावरों ने कैथोलिक धर्म को हथियार बनाया और इसका इस्तेमाल बच्चों के यौन उत्पीड़न के लिए किया गया।’’ एक अन्य चर्च में एक पादरी ने एक बच्चे से कहा कि स्वर्ग में जाने के लिए उसे यौन इच्छा तो पूरी करनी ही होगी। इसके बाद तीन साल तक उस बच्चे का पादरी ने तब तक यौन उत्पीड़न किया जब तक कि उसका तबादला नहीं हो गया। ग्रैंड ज्यूरी की रिपोर्ट सार्वजनिक किए जाने के दिन सामने आए एक मामले में एक पादरी ने यौन शोषण करने के बाद बच्चे के मुंह को पवित्र जल से धोया।