उप राष्ट्रपति वेंकैया नायडू भी हुए थे ठगी का शिकार, सदन में बताई आपबीती
देश के उप राष्ट्रपति और राज्य सभा के सभापति एम वेंकैया नायडू भी फर्जी विज्ञापनों का शिकार हो चुके हैं। राज्य सभा में शुक्रवार (29 दिसंबर) को उन्होंने बताया कि कुछ दिनों पहले टीवी पर वजन घटाने वाला एक विज्ञापन देखकर वो भी उसके जाल में फंस गए थे और करीब एक हजार रुपये का नुकसान करा बैठे। वेंकैया ने बताया कि टीवी पर आ रहे विज्ञापन में बताया गया था कि टैबलेट के सेवन से एक निश्चित समय अवधि में एक निश्चित मात्रा में वजन घट जाएगा मगर ऐसा नहीं हुआ। राज्य सभा में जब समाजवादी पार्टी के सांसद नरेश अग्रवाल ने टीवी चैनलों पर दिखाए जा रहे फर्जी, झूठे और भ्रामक विज्ञापनों का मामला उठाया तो उप राष्ट्रपति खुद को नहीं रोक पाए और आपबीती सबसे साझा कर डाली।
वेंकैया ने कहा, “उप राष्ट्रपति बनने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने इसी तरह की दवाई बेचने वाला एक विज्ञापन देखा था, जिसमें दावा किया जा रहा था कि उसके टैबलेट खाने से एक निश्चित समय अवधि में एक निश्चित मात्रा में वजन घट जाएगा।” वेंकैया ने याद कर कहा कि इसके लिए उन्होंने करीब एक हजार रुपये चुकाए थे। वेंकैया ने बताया कि पैसा चुकाने के बावजूद टैबलेट नहीं आया बल्कि उसकी जगह एक मेल आया जिसमें कहा गया था कि चमत्कारिक रूप से वजन घटाने के लिए आपको दूसरा टैबलेट लेना चाहिए, जिसकी कीमत एक हजार रुपये है। यह ऑरिजिनल टैबलेट आपको तभी भेजा जाएगा जब आप इसके भी पैसे चुका देंगे।
नायडू ने बताया कि जब उन्हें यह मेल मिला तो उन्हें संदेह हुआ। इसके बाद उन्होंने केंद्रीय उपभोक्ता मंत्री रामविलास पासवान को इस घटना के बारे में बताया। पासवान ने उस पर तुरंत जांच कमेटी बैठाई। वेंकैया ने बताया कि जांच में पता चला कि जिस कंपनी का विज्ञापन देखकर वो जाल में फंसे थे वह नई दिल्ली या देश के किसी कोने में स्थापित नहीं है बल्कि वह कंपनी अमेरिका में संचालित होती है। नायडू ने कहा कि उपभोक्ता मंत्री को चाहिए कि वो इस तरह के झूठे और भ्रामक विज्ञापनों के मामले में कड़ा कानून बनाएं, ताकि कोई भोले-भाले ग्राहकों को ठगी का शिकार न बना सके।