भारत बंद: अदालत के फैसले से सहमत नहीं संघ, कहा- प्रदर्शन के दौरान हिंसा दुर्भाग्‍यपूर्ण

अनुसूचित जाति-अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के प्रावधानों में बदलाव के शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ दलित संगठनों के सोमवार के प्रदर्शनों के दौरान हिंसा को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। संघ ने लोगों से शांति बनाए रखने में मदद देने की अपील की है। आरएसएस के सरकार्यवाह सुरेश जोशी ने एक बयान में कहा, “सर्वोच्च न्यायालय के एससी-एसटी एक्ट से संबंधित आदेश के खिलाफ हिंसा दुर्भाग्यपूर्ण है। आरएसएस अदालत के आदेश से सहमत नहीं है और सरकार ने इसके खिलाफ पुनरीक्षण याचिका दायर कर सही फैसला किया है।”

आरएसएस ने लोगों से अपील की है कि वे समाज में अच्छा माहौल बनाए रखने में योगदान दें और किसी भी तरह के विद्वेषपर्ण प्रोपेगेंडे से खुद को अलग रखें। जोशी ने कहा, “सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के बाद आरएसएस के खिलाफ आधारहीन और निंदनीय विद्वेषपूर्ण प्रचार किया जा रहा है। अदालत के फैसले में आरएसएस की कोई भूमिका नहीं है।” उन्होंने कहा कि आरएसएस ने हमेशा जाति के नाम पर भेदभाव और जुल्म का विरोध किया है और ऐसे कृत्यों को रोकने के लिए हमेशा संबंधित कानूनों पर अमल के लिए कहा है। इससे पहले कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा था, “यह भाजपा-आरएसएस के डीएनए में है कि दलितों को भारतीय समाज के निचली पायदान पर बनाए रखो। जो लोग इस सोच का विरोध कर रहे हैं, हिंसा का शिकार हो रहे हैं।”

बता दें कि एससी, एसटी (अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति) अधिनियम का दुरुपयोग रोकने के लिए हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में विभिन्न संगठनों ने सोमवार (2 अप्रैल) को एक दिवसीय भारत बंद का आह्वान किया था। भारत बंद के दौरान कई स्थानों से हिंसा की सूचना है। हालात बिगड़ने के कारण कई स्थानों पर कर्फ्यू तक लगाना पड़ा। इसके अलावा मध्यप्रदेश के ग्वालियर, भिंड आदि स्थानों में आंदोलन ने हिंसक रूप लिया। यहां पर दो समूह आमने-सामने आ गए और पथराव के बीच वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया।

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