पश्चिम बंगाल का नाम ‘बांग्ला’ करने को लेकर पश्चिम बंगाल विधानसभा ने किया प्रस्ताव पारित

पश्चिम बंगाल विधानसभा ने राज्य का नाम ‘बांग्ला’ करने को लेकर एक प्रस्ताव पारित किया गया है। पश्चिम बंगाल विधानसभा में पारित इस प्रस्ताव को अब गृह मंत्रालय भेजा जाएगा। अगर गृह मंत्रालय से इस प्रस्ताव को मंजूरी मिल जाती है तो राज्य का नाम बदलकर बांग्ला हो जाएगा। गौर हो कि इससे पहले राज्य सरकार ने पश्चिम बंगाल का नाम अंग्रेजी ‘बेंगाल’, हिंदी में ‘बंगाल’ और बंगाली में ‘बांग्ला’ करने का प्रस्ताव केंद्र के पास भेजा था। यह प्रस्ताव पश्चिम बंगाल विधानसभा में 29 अगस्त 2016 को परित किया गया था। लेकिन केंद्र सरकार ने एक ही राज्य के तीन भाषाओं में तीन नाम के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। इसके बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की अगुआई वाली सरकार ने बंगाली, हिंदी और अंग्रेजी तीनों भाषाओं में राज्य का नाम ‘बांग्ला’ करने को लेकर एक और प्रस्ताव भेजने का निर्णय लिया। 8 सितंबर 2017 को राज्य कैबिनेट ने तीनों भाषाओं में ‘बांग्ला’ नाम रखने को मंजूरी दी। आज इसे विधानसभा में पास कर दिया गया।

जब 2011 में राज्य में तृणमूल कांग्रेस की सरकार बनी थी, उस समय भी ममता बनर्जी सरकार ने राज्य का नाम ‘पश्चिम बांगो’ करने का निर्णय लिया था, लेकिन केंद्र सरकार ने इसकी मंजूरी नहीं दी थी। तृणमूल सरकार उसी समय से राज्य का नाम बदलने के लिए प्रयासरत है। यह तीसरी बार है जब राज्य का नाम बदलने के लिए केंद्र सरकार के पास प्रस्ताव भेजा गया है।

पश्चिम बंगाल के नाम को बदलने का प्राथमिक कारण यह है कि जब भी सभी राज्यों की बैठक होती है, तो अल्फाबेट ऑर्डर के हिसाब से पश्चिम बंगाल का स्थान सबसे नीचे होता है। इस वजह से यदि कभी केंद्र और राज्य के बीच बैठक होती है तो सबसे अंतिम में यहां के मुख्यमंत्री और अधिकारी को संबोधन करने का मौका मिलता है। यदि गृह मंत्रालय इस निर्णय को मंजूरी दे देती है तो यहां के मुख्यमंत्री और अधिकारियों की यह शिकायत दूर हो जाएगी।

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