बंगाल में माकपा की आर्थिक स्थिति इतनी बदहाल कि अपना दफ्तर एक कारोबारी को किराए पर दिया

पश्चिम बंगाल के बर्धमान में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) को आर्थिक तंगी के चलते अपना एक पार्टी दफ्तर किराए पर उठाना पड़ा है। गुसकारा स्थित माकपा का पार्टी दफ्तर एक कारोबारी को पांच साल के लिए किराए पर दिया गया है। गुसकारा ऑसग्राम विधानसभा सीट में आता है, जहां 1971 से पार्टी अपना झंडा बुलंद करती रही, लेकिन 2016 में माकपा यह सीट तृणमूल कांग्रेस से हार गई थी। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक पार्टी ने 15 हजार रुपये महीना किराए पर दो मंजिला इमारत कारोबारी को दी है। इमारत में पहले जहां मार्क्स, लेनिन, मुजफ्फर अहमद और ज्योति बसु की तस्वीरें दिखाई देती थीं, अब वहां गणेश और लक्ष्मी समेत कई देवी-देवताओं की तस्वीरें टंगी हैं। सीपीएम के स्थानीय नेता ने बताया कि पार्टी के सत्ता से बाहर रहने के कारण पार्टी के दफ्तरों को चलाने में कठिनाई आ रही है, स्थानीय और मंडलीय समितियों को इकट्ठा करके पार्टी के संगठन में बदलाव किए गए हैं।

स्थानीय नेताओं के मुताबिक अब केवल एक स्थानीय समिति जिला समिति के अंतर्गत रह गई है। जिसे देखते हुए यह तय किया गया कि फंड के लिए पार्टी के दफ्तर को किराए पर दे दिया जाए। यह भी कहा जा रहा है कि पास में ही पार्टी के दूसरे दफ्तर के काम करने की वजह से यह दफ्तर किराए पर दिया गया।

वहीं तृणमूल की तरफ से कहा जा रहा है कि सीपीएम बंगाल की सबसे धनी पार्टियों में से एक है, हो सकता है कि पार्टी का राज्य में जनाधार खोने के बाद उसका कोई नेता दफ्तर में बैठने के लिए न बचा हो। जिसके कारण उसने दफ्तर किराए पर दे दिया। यह भी कहा जा रहा है कि लंबे समय से सत्ता से बाहर रहने के कारण सीपीएम भारी संकट से जूझ रही है, इसलिए पार्टी के दफ्तरों को किराए पर उठाया जा रहा है।

बता दें कि पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस की ममता सरकार विरोधियों को पस्त करने के लिए हर वो काम कर रही है जो वह पहले कभी करती नजर नहीं आई थी। पिछले दिनों तृणमूल ने मंदिरों के पुजारियों को सम्मानित किया था।

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