भीमा कोरेगांव कांड के एक चश्मदीद गवाह 19 साल की लड़की की लाश कुएं में मिलने से इलाक़े में सनसनी

कुछ ही समय पहले ​दलित जातीय संघर्ष की घटनाओं के कारण चर्चित भीमा कोरेगांव में रविवार की सुबह फिर से एक बार सनसनी फैल गई मीडीया से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार रविवार की सुबह 11 बजे भीमा गांव के पास कुएं में 19 साल की लड़की की लाश मिलने से सनसनी फैल गई। ये कुआं दंगा पीड़ितों के लिए बनाए गए राहत कैंप के पास स्थित है। बताया गया कि मरने वाली लड़की उस कांड की चश्मदीद गवाह थी। उसने दंगाइयों को अपना घर और दुकान जलाते हुए देखा था। मृतक लड़की की शिनाख्त पूजा सकत के तौर पर हुई। वह कक्षा 11 की छात्रा थी। वह पिछले करीब तीन महीनों से अपने परिवार के लिए नया घर आवंटित करवाने के लिए कई सरकारी दफ्तरों के चक्कर काट रही थी। परिवार ने फरवरी में कुछ गांव वालों के खिलाफ धमकाने और छेड़खानी के आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज करवाई थी। पूजा इस पूरे कांड की चश्मदीद गवाह भी थी।

पूजा के भाई जयदीप ने पत्रकारों को बताया कि हमने शनिवार दोपहर को पूजा की गुमशुदगी की रिपोर्ट शिकरापुर पुलिस को दे दी थी। जिस कुएं में पूजा की लाश मिली है, वह भीमा कोरेगांव से करीब दो किलोमीटर दूर स्थित है। हमें शक है कि कुछ स्थानीय गांव वालों ने उसकी हत्या करने के लिए उसे कुएं में ढकेल दिया होगा। घटना के बाद एहतियात के तौर पर भारी संख्या में पुलिस बल सासून सरकारी अस्पताल में तैनात कर दिया गया है। घटना के बाद भारी तादाद में पुणे के ग्रामीण और शहरी इलाकों से लोग अस्पताल में जमा होने लगे। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए फोरेंसिंक डिपार्टमेंट ने रविवार देर रात शव का पोस्टमॉर्टम किया है।

कानून-व्यवस्था के लिए तैयार पुलिस: पुणे ग्रामीण पुलिस के वरिष्ठ ​अधिकारी ने बताया,”हम इस मामले की पड़ताल हर संभव नजरिए से कर रहे हैं। हम पूजा के घर वालों के हर आरोप की जांच हर संभव नजरिए से करेंगे। लेकिन सबसे पहले हमारी जांच इसी बिंदु पर टिकी हुई है कि आखिर पूजा की मौत कैसे हुई।” शिकरापुर पुलिस के अधिकारी भीमा कोरेगांव और आसपास के गांवों में कानून-व्यवस्था की स्थिति सामान्य रखने के लिए तैयार हैं। देर रात तक पुणे-अहमदनगर हाईवे पर स्थित इन गांवों में किसी भी किस्म की अप्रिय स्थिति की सूचना नहीं मिली थी। बता दें कि बीते एक जनवरी को इसी हाईवे के आसपास के गांवों कोरेगांव, भीमा, सनसवाड़ी, पेरने फटा में भारी हिंसा भड़क उठी थी।

हिंसा से झुलस गया था इलाका: भीमा-कोरेगांव में बीते एक जनवरी को उस वक्त् हिंसा भड़क उठी थी, जब बड़ी ​संख्या में दलित वहां इकट्ठे हुए थे। दलित वहां पर एक जनवरी 1818 में​ ब्रिटिश-पेशवा युद्ध में ब्रिटिश की जीत के 200 साल पूरे होने का जश्न मनाने के लिए कोरेगांव भीमा विजय स्तंभ पर इकट्ठे हुए थे। बता दें कि इस युद्ध में महारों ने ब्रिटिश फौज की तरफ से पेशवा की सेना से युद्ध किया था। हिंसा में सनासवाड़ी के रहने वाले राहुल फटंगले की पथराव के कारण मौत हो गई थी। जबकि करीब 100 वाहनों को फूंक दिया गया था, 60 घरों और दुकानों को जला दिया गया था।

कुएं में मिला पीड़िता का शव: जयदीप ने कहा, “पूजा शनिवार को दोपहर करीब 1.30 बजे घर से किसी से मिलने के लिए निकली थी। हालांकि, जब वह देर रात तक घर वापस नहीं आई तो हमने उसकी तलाश गांव भर में की और उसके दोस्तों से पूछताछ की। हमें बाद में गांव वालों से पता चला कि उसकी लाश कुएं में पड़ी मिली है।”

16 साल पहले आए थे कोरेगांव : जयदीप ने कहा कि उसका परिवार करीब 16 साल पहले अहमदनगर के करजत से आकर भीमा-कोरेगांव में रहने लगा था। मेरे पिता सुरेश और उसकी मां संगीता होटल चलाते थे। हमारे होटल और घर को कुछ स्थानीय गांव वालों ने फूंक दिया है। इसलिए हमें सरकारी अधिकारियों ने गांव के पास बने शरणार्थी कैंप में भेज दिया गया।

कांड की अहम गवाह थी पूजा: जयदीप ने कहा कि पूजा ने गांव वालों को हमारा घर जलाते हुए देखा था। वह इस मामले की अहम गवाह थी। वर्तमान में हम उसकी मौत पर कुछ भी नहीं कह सकते हैं कि उसकी मौत आत्महत्या, हत्या या हादसा क्या है? हमें कोई भी सुसाइड नोट नहीं मिला है। हालांकि हमें तीन गांव वालों पर शक है, जो हमें​ पिछले तीन महीने से धमकियां दे रहे थे। हमने उन्हीं के खिलाफ पिछले फरवरी में पुलिस में शिकायत दर्ज करवाई थी। जयदीप ने कहा कि हमारा परिवार रहने के लिए नए घर की तलाश में है। पूजा सरकारी विभागों में लगातार फंड के लिए चक्कर काट रही थी।

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