पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा ने राफेल डील को बताया मोदी सरकार का बड़ा घोटाला
मीडीया रिपोर्ट के अनुसार पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण शौरी और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने बुधवार (08 अगस्त) को एक प्रेस कॉन्प्रेन्स कर आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने राफेल लड़ाकू विमान खरीद सौदे से जुड़े तथ्यों को न केवल छुपाया है बल्कि आनन-फानन में डील के लिए जरूरी प्रकियाओं में भी बदलाव किया है और तय मानकों का उल्लंघन किया है। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में मीडिया के सामने डील से जुड़े दस्तावेज साझा करते हुए प्रशांत भूषण ने कहा कि रक्षा मंत्री के स्तर पर विरोधाभासी बयान दिए गए और मीडिया को अंधेरे में रखकर उसका इस्तेमाल झूठ फैलाने के लिए किया गया। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि इस डील में गुप्त अनुबंध से जुड़ा कोई पहलू नहीं है।
सिन्हा और शौरी ने कहा कि राफेल डील में सीधे तौर पर एक बड़ा घोटाला हुआ है जो देश की सुरक्षा से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि दस्तावेज में सारी बातें बताती हैं कि इस मामले में बड़ा घोटाला हुआ है, बड़े पैमाने पर पद का दुरुपयोग किया है और आपराधिक हरकतें अंजाम दी गई हैं। उन्होंने कहा कि यह डील देश की नाजुक रक्षा बजट पर गंभीर दबाव डालता है। नेताओं ने मांग की कि सरकार सौदे से संबंधित तथ्यों का खुलासा करे, खासतौर से उन खर्चों का विवरण दे जिसे राजकोष से चुकाया गया है। नेताओं ने मीडिया से भी इस मामले से जुड़े तथ्यों को खोजने और जनमानस तक उसे पहुंचाने की ड्यूटी पूरी करने की अपील की है।
नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार ने जान-बूझकर सार्वजनिक क्षेत्र के राष्ट्रीय संगठन हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल), जिसे विमान निर्माण का दशकों पुराना अनुभव है, को डील से बाहर किया गया ताकि फ्रांसीसी समूह डसॉल्ट को यह सौदा मिल सके। बता दें कि डसॉल्ट ने इस विमान के उत्पादन के लिए अंनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस नेवल एंड इंजीनियरिंग लिमिटेड को स्थानीय पार्टनर के रूप में चुना है। इस कंपनी का विमान निर्माण में अनुभव शून्य है। नेताओं ने कहा कि रिलायंस ग्रुप पर बड़े प्रोजेक्ट में विफल रहने और बड़े कर्ज में डूबे होने के आरोप भी हैं।
बता दें कि कांग्रेस लंबे समय से आरोप लगाती रही है कि भारत और फ्रांस के बीच राफेल लड़ाकू विमान खरीद सौदे में 41 हजार 205 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कांग्रेस ने इसे सदी का सबसे बड़ा घोटाला करार दिया है और कहा है कि देश के करदाता अगले 50 साल तक 36 राफेल लड़ाकू विमान के रख रखाव के लिए भुगतान करते रहेंगे।