आंखों की रोशनी से लेकर पीरियड्स तक में लाभदायक है उष्ट्रासन, जानिए विधि और फायदे
योग हमारे जीवन में बेहद जरूरी होता है। इससे अच्छा स्वास्थ्य वजन में कमी, एक मजबूत एवं लचीला शरीर, सुंदर चमकती स्किन और मन की शांति मिलती है। योग के माध्यम से शरीर, मन और मस्तिष्क को पूर्ण रूप से स्वस्थ किया जा सकता है। तीनों के स्वस्थ रहने से आप स्वयं को स्वस्थ महसूस करते हैं। योग के जरिए न सिर्फ बीमारियों का निदान किया जाता है, बल्कि इसे अपनाकर कई शारीरिक और मानसिक तकलीफों को भी दूर किया जा सकता है। वैसे तो योग में ऐसे बहुत से आसन है जो हमे फायदा पहुंचाते हैं लेकिन आज हम बात कर रहे हैं उष्ट्रासन की। यह एक ऐसा आसन है जिसे अगर रोजाना किया जाए तो आंखों की रोशनी से लेकर महिलाओं के पीरियड्स के दिनों तक में फायदा पहुंचाता है। आइए जानते हैं उष्ट्रासन करने का तरीका और लाभ-
उष्ट्रासन या केमल पोज: उष्ट्र और आसन से मिलकर बना है उष्ट्रासन। यहां उष्ट्र का मतलब ऊंट से है। इस आसन को करते समय व्यक्ति के शरीर ऊंट की तरह हो जाती है, इसलिए इसे उष्ट्रासन योग कहा जाता है। अग्रेंजी भाषा में इसे केमल पोज कहा जाता है।
उष्ट्रासन करने का तरीका: सबसे पहले वज्रासन में बैठ जाएं। इसके बाद अपने घुटनों के बल खड़े हो जाएं। घुटनों और पैरों को एक साथ जोड़ कर रखें। अब धीरे-धीरे पीछे की तरफ झुकने की कोशिश करें। अब दाएं हाथ से दाईं एड़ी को और बाएं हाथ के साथ बाईं एड़ी को पकड़ें। इस पोजिशन में जांघों को सीधा रखने की कोशिश करें और जितना हो सके सिर और मेरुदण्ड को पीछे तरफ झुकाएं। जब खिचाव महसूस हो तब पूरे शरीर, विशेष रूप से पीठ की मांसपेशियों को शिथिल रखने की कोशिश करें। ध्यान रखें शरीर का वजन समान रूप से पैरों और बाहों पर बना रहे। पीठ का धनुष जैसा आकार बनाए रखने के लिए भुजाओं को कंधों का सहारा दें। जितनी देर हो सके उतनी देर करें। इसके बाद आराम से हाथों को एक-एक कर एड़ियों से हटाएं और वापस आने की कोशिश करें। इसे 4-5 बार दोहराएं।
उष्ट्रासन के फायदे: इस योग को करने से शरीर में लचीलापन आता है। मांसपेशियों में खून और ताकत का प्रवाह ठीक रहता है, चेहरा सुंदर बनता है। इसके अलावा महिलाओं की मासिक परेशानियों को दूर करता है। कॉस्ट्रयूपेशन, इनडाइजेशन, एसिडिटी, मधुमेह जैसे रोगों लाभदायक है। गले संबंधी रोगों में भी यह आसन फायदेमंद है। उष्ट्रासन को रोज करने से आंखों की रोशनी में फायदा होता है। इस आसन से घुटने, ब्लडर, किडनी, छोटी आंत, लीवर, छाती, लंग्स और गर्दन तक का भाग एक साथ प्रभावित होता है, जिससे कि उपर्युक्त अंग समूह का व्यायाम होकर उनका निरोगीपन बना रहता है। इसके साथ ही श्वास, उदर, पिंडलियों, पैरों, कंधे, कोहनियों और मेरुदंड संबंधी रोगों में फायदा मिलता है।