इस हिममानव का रहस्य कोई नही….पहचान पाया

हिममानव यानि येति दुर्गम बर्फिले इलाके में सदियों से इंसान को दिखता रहा है.लेकिन हिममानव के रहस्य से परदा नहीं उठ पाया है .. आखिर ये हिममानव बर्फिले इलाके में कहां रहता है … और कहां गायब हो जाता है … हिममानव के बारे में दुनिया को पहली बार तब पता चला .. जब 1832 में बंगालके एशियाटिक सोसाइटीके जर्नल में एक पर्वतारोही ने येति के बारे जानकारी दी .. जिसमें ये कहा गयाकि उत्तरी नेपाल में ट्रैकिंग के दौरान उसके स्थानीय गाइड ने एक ऐसे प्राणी कोदेखा … जो इंसान की तरह दो पैरो पर चल रहा था..

जिसके शरीर पर घने वाल थे ..उस प्राणी को देखते ही वो डर कर भाग गया … इसके बाद 1889 में एक बार फिर हिमालयी क्षेत्र में पर्वतारोहियों ने बर्फ में ऐसे किसी प्राणी का फूट प्रिंट देखा जो इंसान की तुलना में काफी बड़े था… 20वीं सदी की शुरूआत में भी येति को देखने के मामले तब ज्यादा आने शुरू हुए .. जब पश्चिमी देशों केपर्वतारोहियों ने हिमालय के इस क्षेत्र की चोटियों पर चढ़ने का प्रयास शुरू किया.. .. और फिर 1925 में रॉयल ज्योग्रॉफिकल सोसाइटी के एक फोटोग्राफर ने 15,000 फीट ऊंचाई वाले जेमू ग्लेशियर के पास एक विचित्र प्राणी को देखने की बात कही .. उस फोटोग्राफर ने बताया कि उस विचित्र प्राणी को 200 से 300 गज की दूरी से उसने करीब एक मिनट तक देखा..

जिसकी आकृति ठीक-ठीक इंसान जैसी थी.. वो सीधा खड़े होकर चल रहा था और झाड़ियों के सामने रूक-रूक करपत्तियां खींच रहा था… बर्फ में वो काला दिख रहा था… इसके बाद 1938 में येति एक बार फिर चर्चा में आया .. विक्टोरिया मेमोरियलकलकत्ता के क्यूरेटर एक कैप्टेन ने हिमालय की यात्राके दौरान देखने का दावा किया .

जिसमें कैप्टन ने उसे एक उदार और मददगार प्राणी बताया … कैप्टन के मुताबिक इस यात्रा के दौरान जब वो बर्फीली ढलान पर फिसल कर घायल हो गये थे.. तब प्रागैतिहासिक मानव जैसे दिखने वाले एक 9 फीट लंबे प्राणी ने उसे मौत के मुंहसे बचाया था.. 1942 में भी साइबेरिया के जेल से भागने वाले कुछ कैदियों ने भी हिमालय पार करते हुए विशाल बंदरों जैसे प्राणी को देखने का दावा किया…लेकिन पहली बार ठोस सबूत तब मिला 1951 में एवरेस्ट चोटी पर चढ़ने का प्रयास करने वाले एक पर्वतारोही ने 19,685 फीट की ऊंचाई पर बर्फ पर बने पदचिन्हों के तस्वीर फोटो लिए .. . जिसका आज भी गहन अध्ययन किया जा रहा है .. बहुत से लोग मानते हैं ये फोटो येति की वास्तविकता का बेहरतीन सबूत हैं

लेकिन कुछ लोग मानते हैं कि ये किसी दूसरे सांसारिक जीव के हैं ..इतना ही नहीं 1953 में सर एडमंड हिलरी और तेनजिंग नोर्गे ने भी एवरेस्ट चढ़ाई के दौरानबड़े-बड़े पदचिह्न देखने की बात कही.. और फिर 1960 में सर एडमंड हिलेरी के नेतृत्व में एक दल ने येति से जुड़े सबूतों को इक्ट्ठा करने के लिए हिमालय क्षेत्र की यात्रा की.. जिसमें इंफ्रारेड फोटोग्राफी की मदद ली गयी लेकिन 10 महीने वहां रहने के बाद भी इस दल को येति के कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल पाये.. इसके एक दशक बाद 1970 में एक ब्रिटिश पर्वतारोही ने दावा किया कि अन्नपूर्णा चोटी पर चढ़ने के दौरान उन्होंने एक विचित्र प्राणी को देखा और रातमें कैम्प के नजदीक विचित्र तरह के चीत्कार सुने.. उनके शेरपा गाइड ने बताया कि ये आवाज येति की है.. सुबह उस कैम्प के नजदीक इंसान जैसे बड़े पदचिन्ह भी देखे.. हाल के दिनों में येति देखने की बात करें तो 1998 में एक अमरीकी पर्वतारोही ने एवरेस्ट से चीन की तरफ से उतरते हुए

येति के एक जोड़े को देखने का दावा किया.. उस पर्वतारोही के मुताबिक दोनों के काले फर थे और वे सीधे खड़ेहोकर चल रहे थे .. 2008 में भी मेघालय में हिममानव यानि येति को देखने कादावा किया गया जिसे गारो हिल्स की पहाड़ियों में देखा गया … लेकिन किसी के ठिक सामने आज तक नहीं आया है.. हो सकता है इस हिममानव का हिमालय के क्षेत्रो में अस्तित्व हो .. जो इंसान के सामने नहीं आना चाहाता हो .ऐसे मेंजब तक इंसान हिममानव तक नहीं पहुंच जाता .. ये प्राणी रहस्यमयी बना रहेगा

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