कांग्रेस के इन आठ दिग्गजों पर राज्यसभा से बाहर होने का खतरा !

साल 2018 में होने वाले राज्य सभा चुनाव से सदन की तस्वीर बदलने वाली है। अप्रैल 2018 में यूपी से नौ सीटें खाली हो रही हैं। मायावती के इस्तीफे से एक सीट पहले ही खाली हो चुकी हैं। इन नौ में से फिलहाल 6 सीट पर समाजवादी पार्टी के सांसद हैं। उनमें जया बच्चननरेश अग्रवाल, किरणमय नंदा, चौधरी मुनव्वर सलीम भी शामिल हैं लेकिन यूपी विधान सभा में सपा की संख्या बल इतनी नहीं है कि वो एक से ज्यादा सदस्य को राज्यसभा भेज सके। यानी इन लोगों की सांसदी पर तलवार लटक रही है। यूपी से कांग्रेस के भी एक दिग्गज प्रमोद तिवारी का चुनकर राज्य सभा पहुंचना मुश्किल लग रहा है।

245 सदस्यों वाले राज्य सभा में भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बन गई है। मध्य प्रदेश से भाजपा के संपत्तिया उइके के निर्विरोध निर्वाचित होने के बाद अब इस उच्च सदन में भाजपा के कुल 58 सांसद हो गए हैं। कांग्रेस दूसरे नंबर पर चली गई है। चार दिन बाद यानी आठ अगस्त को गुजरात में भी तीन सीटों के लिए राज्य सभा चुनाव होने हैं। दो सीटों पर बीजेपी कोटे से भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी का चुनाव जीतना तय है लेकिन कांग्रेस उम्मीदवार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधीके राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल पर संशय बरकरार है। बीजेपी ने उनके खिलाफ कांग्रेस के ही बागी उम्मीदवार बलवंत सिंह राजपूत को टिकट दिया है। बीजेपी लगातार कांग्रेसी विधायकों को फोड़ने में जुटी हुई है।

कांग्रेस के कुल आठ दिग्गजों की सांसदी पर तलवार लटक रहा है। कर्ण सिंह, जनार्दन द्विवेदी और परवेज हाशमी फिलहाल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली से कांग्रेस के राज्य सभा सदस्य हैं लेकिन दिल्ली विधानसभा में अब कांग्रेस का सूपड़ा साफ हो चुका है। लिहाजा, इनका संसद पहुंचना मुश्किल है। पार्टी अधिकतम तीन नेता को ही कर्नाटक से राज्यसभा भेज सकती है। इनमें से एक सांसद (के आर रहमान) पहले से दावेदार हैं। यानी दो नए चेहरे को वहां से भेजा सकता है। पंजाब में फिलहाल राज्यसभा की सीटें खाली नहीं होने वाली हैं।

कांग्रेस के सत्यव्रत चतुर्वेदी का भी कार्यकाल अगले साल अप्रैल में खत्म हो रहा है। वह मध्य प्रदेश से राज्य सभा सांसद हैं। अगर पार्टी उन्हें दोबारा भेजना चाहेगी तो उनकी राह आसान होगी। वहां से कांग्रेस किसी एक सख्स को ही राज्य सभा भेज सकती है। उधर, झारखंड कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रदीप बालमुचु की भी सदस्यता खतरे में है। झारखंड विधानसभा में कांग्रेस के केवल 6 विधायक हैं। जेएमएम के भी एक सांसद का टर्म अप्रैल 2018 में पूरा हो रहा है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस, जेएमएम और जेवीएम मिलाकर किसी एक शख्स को राज्यसभा भेज सकती है। चूंकि जेएमएम के पास कुल 19 विधायक हैं, इसलिए कांग्रेस की जगह जेएमएम की दावेदारी पहले बनेगी।

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