कान फिल्म समारोह: ‘ऐश इज द प्यूरेट व्हाइट’ – एक प्रेम कथा में सभ्यता विमर्श

अजित राय

इकहत्तरवें कान फिल्म समारोह में एशियाई देशों की फिल्मों ने जबरदस्त उपस्थिति दर्ज की है। रूस, चीन, जापान, दक्षिण कोरिया, ईरान से लेकर सीरिया और लेबनान तक की फिल्मों ने प्रतिष्ठित प्रतियोगिता खंड में जगह बनाई है । कान फिल्म समारोह के प्रतियोगिता खंड में दिखाई गई जिया झंके की फिल्म ‘ऐश इज प्यूरेस्ट व्हाइट’ पिछले बीस सालों में चीन में हुए बड़े बदलावों का लेखाजोखा है। अपनी पिछली एपिक फिल्म ‘माउंटेंस मे डिपार्ट’ (कान फिल्म समारोह 2015) की तरह ही जिया झंके ने एक लंबी प्रेम कथा (2001-2018) के माध्यम से चीन में तेजी से बढ़ रहे सामाजिक बिखराव और आर्थिक प्रगति का विरोधाभास दिखाया है।

चीन के उत्तर-पश्चिमी इलाके शांझी की बेशुमार कोयला खदानों के आसपास कहानी 2001 से शुरू होती है। अपने प्रेमी और लोकल गैंगस्टर बिन को बचाने के लिए कियाओ अवैध पिस्तौल से फायर करती है और उसे छह साल की कैद हो जाती है । जेल से छूटने के बाद वह अपने प्रेमी बिन को ढूंढती हुई पुराने शहर पहुंचती है, तो पता चलता है कि वह किसी अमीर औरत के साथ घर बसा चुका है। इस बीच कियाओ के पिता मर चुके हैं, बहन किसी के साथ घर से भाग चुकी है और पुराने संगी साथी बिखर चुके हैं। अब वह अकेली है और किसी तरह एक पुराने गैंगस्टर के साथ जुएघर और शराबखाने और वीडियो पार्लर का बिजनेस जमाती है। एक दिन किसी के फोन आने के बाद जब वह रेलवे स्टेशन पहुंचती है, तो देखती है कि उसका पुराना प्रेमी जिसने उसे ठुकरा दिया था, प्लेटफार्म पर व्हीलचेयर में लाचार पड़ा हुआ है। स्ट्रोक के बाद सबने उसे छोड़ दिया है। कियाओ उसे घर लाती है। उसकी देखभाल करती है और वह ठीक होने लगता है। एक दिन अचानक वह एक चिट्ठी छोड़कर चला जाता है, जिसमें लिखा है कि वह किसी की दया पर नहीं जी सकता। कियाओ फिर अकेली है, हमेशा के लिए।

जिया झंके ने इस मुख्य कथा के चारों ओर अनगिनत कहानियों की ओर इशारा किया है कि महाशक्ति बनने की राह पर जा रहे चीन का आंतरिक समाज कितना खोखला, संवेदनहीन और मशीनी हो चुका है। संकट पुराने जीवन मूल्यों और निर्मम आधुनिकता के बीच तालमेल बिठाने का है। मैथ्यू लक्लाऊ का कैमरा बार-बार टॉप एंगल्स शॉट में नदी के दोनों ओर हो रहे निर्माण, ट्रैफिक जाम, तकनीकी विकास और बदलावों के बीच खुशी की तलाश में भटकते लोगों को दिखाता है। दिशाहीन युवकों, प्रेम में धोखा खाई औरतों और घर में बेसहारा अकेले छूट गए मां-बाप की बढ़ती फौज पारंपरिक चीनी समाज में नए संकट की आहट है। ‘ऐश इज द प्यूरेस्ट व्हाइट’ सच्चे दिल और धोखेबाज विकास के बीच मनुष्य बने रहने का जोखिम है।

प्रतियोगिता खंड में ही दक्षिण कोरिया के ली चंग डोंग की फिल्म ‘बर्निंग’ जिया झंके के दर्शन को एक अलग प्रेम कथा के माध्यम से निजी संदर्भों में दिखाती है। दक्षिण और उत्तर कोरिया की सीमा पर बसे गांव और कस्बों में भी पुराने और नए के बीच यहीं संघर्ष चल रहा है। युवा किंतु अकेला जोंगसू एक कमसिन लड़की हाएमी के प्रेम में नौकरी छोड़ देता है। एक दिन हाएमी उसे अपनी प्यारी बिल्ली को सौंपकर अफ्रीका चली जाती है। वापस आकर वह जोंगसू को अपने अमीर दोस्त बेन से मिलवाती है। कुछ दिन बाद हाएमी गायब हो जाती है। उसकी खोज में जोंगसू की दुनिया ही बदल जाती है । इस खोज में हम एशिया की बिजनेस महाशक्ति दक्षिण कोरिया के ग्रामीण समाज के संकट से परिचित होते हैं। जो पुराना है, वह बिखर रहा है। जो नया है, उससे कुछ बन नही रहा है। पुराने और नए के बीच की बढ़ती खाई में लोगों की खुशी कहीं खो गई है ।

कान फिल्म समारोह का समापन

दस दिन से चल रहे कान अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह का शनिवार को समापन हुआ। कजाखस्तान की सैमल यसलीमोवा को फिल्म आयका के लिए श्रेष्ट अभिनेत्री का पुरस्कार मिला।33 वर्षीय अभिनेत्री ने फिल्म में बेरोजगार एकल मां की भूमिका निभाई है। पोलैंड के पावेल पावलीकोव्स्की को फिल्म कोल्ड वॉर के लिए श्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार दिया गया है। यह फिल्म एक प्रेम कहानी है। पावलीकोव्स्की ने 2013 में इदा के लिए ऑस्कर भी जीता था। श्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार डॉगमैन के अभिनेता मार्सेलो फोंटे को मिला है। बेस्ट स्क्रीनप्ले का पुरस्कार इटली के लेखक निर्देशक एलिस रोहवाकर को फिल्म हैपी एज लज्जेरो और ईरान के जफर पनाही तथा नादेर को फिल्म थ्री फेसेज के लिए साझा रूप से दिया गया। अभिनेत्री केट ब्लैंशेट ने जूरी की अध्यक्षता की। भारत की तरफ से भेजी गई आधिकारिक एंट्री फिल्म ह्यमंटोह्ण ज्यूरी पर खास असर नहीं छोड़ पाई। यह फिल्म अन सर्टेन श्रेणी में भेजी गई थी। वर्ष 2015 में मसान फिल्म को इसी श्रेणी में दो पुरस्कार मिले थे।

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