केरल हाई कोर्ट का आदेश- कमाने वाली लड़की भी पिता से मांग सकती है शादी का खर्च
हिंदू परिवार की कोई भी लड़की अपनी शादी के लिए पिता से खर्च मांग सकती है, भले ही लड़की और उसकी मां के पास आय के साधन क्यों न हों। केरल हाई कोर्ट ने यह आदेश दिया है । हाई कोर्ट ने यहां तक कहा कि नाजायज बच्चे भी शादी के खर्चे के हकदार हैं । कोयंबटूर की युवती अंबिका की अपील पर सुनवाई के दौरान अदालत ने यह अहम आदेश दिया। अंबिका ने पलक्कड़ फेमिली कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कहा गया था कि वो पिता से शादी का खर्च नहीं मांग सकतीं। क्योंकि वे और उनकी मां 12 हजार रुपये किराया प्राप्त करतीं हैं। अंबिका ने पिता से शादी के खर्च के तौर पर पांच लाख रुपये मांगे थे ।
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा कि मां और बेटी अगर 12 हजार रुपये किराए के रूप में प्राप्त करतीं हैं तो इस आधार पर उनके दावे को नहीं खारिज किया जा सकता। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि- एक व्यक्ति सिर्फ रोटी पर ही नहीं जीता है, बल्कि जीवन में और भी जरूरतें होतीं हैं। दिनोंदिन बढ़ रही महंगाई को देखते हुए उनके पास जो कुछ धनराशि है, वह जीवनयापन के लिए पर्याप्त नहीं है।
कोर्ट ने 1987 में करुणाकरन नैयर बनाम सुशीला के केस का भी हवाला दिया। कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा कि लड़की शिक्षा और शादी के लिए पिता से खर्च पाने की हकदार है। हिंदू एडॉप्शन्स मेंटिनेंस एक्ट, 1956 के सेक्शन 20(1) के तहत पिता की जिम्मेदारियां तय हैं। बच्चा चाहे जायज हो या नाजायज, उसके प्रति जिम्मेदारियों से पिता मुकर नहीं सकता। सेक्शन 3(b)(ii) के तहत शादी के खर्च के लिए पुत्री पिता से उचित खर्च पाने की हकदार है।