गर्ल्स हॉस्टल की फीस बॉयज हॉस्टल से ज्यादा होने पर दिल्ली महिला आयोग ने भेजा पर यूजीसी को समन

दिल्ली में कई कॉलेजों में सिर्फ लड़कों के हॉस्टल है, लड़कियों के नहीं। इस वजह से उन्हें बाहर पेइंग गेस्ट के रूप में रहना पड़ता है और अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में उनके साथ सीधे तौर पर भेदभाव हो रहा है।

दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्लू) ने हिंदू कॉलेज के महिला छात्रावास की फीस पुरुष छात्रावास से ज्यादा होने, कई कॉलेजों में महिला छात्रावास न होने और यूजीसी के पास कॉलेजों की अनुदान राशि अटकी होने जैसे मुद्दों पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के सचिव को समन किया है। समन के मुताबिक, 28 अगस्त को यूजीसी सचिव को आयोग के समक्ष जवाब पेश करना होगा। इसके पहले भी आयोग की तरफ से यूजीसी को कई बार पत्र भेजा गया है।  दिल्ली महिला आयोग ने 8 फरवरी को यूजीसी को पहला पत्र लिखा था। आयोग ने यूजीसी से अपील की थी कि उसके पास जितने भी शिक्षण संस्थानों के प्रस्ताव लंबित पड़े हैं उन पर कार्रवाई करें ताकि छात्राओं को कॉलेज में हॉस्टल की सुविधा मिल सके और वे भी सुरक्षित माहौल में बिना किसी भय के शिक्षा ग्रहण कर सकें, लेकिन आयोग की ओर से कई पत्र लिखने के बाद भी यूजीसी की तरफ से कोई जवाब नहीं मिला। आयोग के मुताबिक, दिल्ली में कई कॉलेजों में सिर्फ लड़कों के हॉस्टल है, लड़कियों के नहीं। इस वजह से उन्हें बाहर पेइंग गेस्ट के रूप में रहना पड़ता है और अधिक पैसे खर्च करने पड़ते हैं। ऐसे में उनके साथ सीधे तौर पर भेदभाव हो रहा है।

इसके बाद डीसीडब्लू अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने हिंदू कॉलेज में गर्ल्स हॉस्टल की अधिक फीस जैसे कई मुद्दों पर यूजीसी के कार्यकारी अध्यक्ष के साथ 9 अगस्त 2017 को बैठक भी की थी। लेकिन, यूजीसी की तरफ से लंबित मुद्दों पर आयोग को किसी भी तरह की कोई कार्रवाई रिपोर्ट नहीं भेजी गई और न कोई जवाब दिया गया। इसके बाद आयोग ने यूजीसी के सचिव को समन किया है और देरी का कारण भी पूछा है। डीसीडब्लू अध्यक्ष ने कहा कि यह बहुत शर्म की बात है कि यूजीसी छात्राओं की समस्याएं दूर करने के लिए बिल्कुल भी गंभीर नहीं हैं। ऐसा लगता है कि यूजीसी ही ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’ की राह का सबसे बड़ा रोड़ा है।

 

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