चीनी सेना का पश्चिमी सीमा पर युद्धाभ्यास, भारत ने रुस से मांगा समर्थन

डोकलाम सैन्य गतिरोध और भारतीय सीमा क्षेत्र के कई इलाकों में घुसपैठ को लेकर चल रहे विवादों के बीच चीनी सेना ने युद्धाभ्यास किया है। चीन के सरकारी टेलीविजन चैनल ने इस युद्धाभ्यास के कुछ दृश्यों के वीडियो जारी कर दावा किया है कि उनकी फौज ने सीमा से कुछ ही दूरी पर टैंकों और हेलिकॉप्टर के साथ युद्धाभ्यास किया है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ‘वेस्टर्न थिएटर कमांड’ की 10 ‘यूनिट’ ने युद्धाभ्यास में हिस्सा लिया। इनमें हेलिकॉप्टर दस्ता भी शामिल था। चीन के इस दावे पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया जताई है। भारतीय विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि एक ओर भारत सरकार राजनयिक वार्ता के जरिए तनाव कम करना चाहती है। दूसरी  ओर, चीनी सैनिकों की कवायद से तनाव बढ़ेगा।

इस युद्धाभ्यास में हेलिकॉप्टर और टैंक की क्षमता का प्रदर्शन किया गया। चीन के सरकारी टेलीविजन ‘चाइना सेंट्रल टीवी’ ने पांच मिनट का वीडियो जारी किया है, जिसमें दिखाया गया है कि कई टैंक लगातार चल रहे हैं। उनसे गोले दागे जा रहे हैं और हेलिकॉप्टरों से गोलियां बरसाई जा रही हैं। चीनी सरकारी मीडिया के अनुसार, यह सैन्य अभ्यास ‘भारत पर धाक जमाने’ के मकसद से किया गया है। सैन्य अभ्यास का संचालन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की ‘वेस्टर्न थिएटर कमांड’ ने किया। अभ्यास के निश्चित स्थान और समय का खुलासा नहीं किया गया है। चीनी सेना के ‘वेस्टर्न थिएटर कमांड’ में तिब्बत, शिनकियांग, निंगिशया, चिंगहई, सिचुआन और चोंगकिंग इलाके आते हैं। ‘वेस्टर्न थिएटर कमांड’ के अधिकांश इलाके भारतीय सीमा से सटे हैं।

बताते चलें कि भारत-चीन सीमा पर सिक्किम के डोकलाम में भारत और चीनी सेनाओं के बीच तीन महीने से गतिरोध जारी है। जून में भारतीय सेनाओं ने डोकलाम में चीन द्वारा किए जा रहे सड़क निर्माण कार्य को रोक दिया था। भारत का कहना है कि यह विवादित क्षेत्र है। भारत और भूटान का कहना है कि डोकलाम भूटान का है, लेकिन चीन उस पर अपना दावा जताता है। उधर, चीन उस इलाके को अपना डोका ला या डोंगलोंग बताते हुए दावा करता है। डोकलाम क्षेत्र सिक्किम के पास भारत-चीन-भूटान ट्राइजंक्शन पर स्थित है। यह इलाका भूटान की सीमा में पड़ता है। दरअसल, चीन जिस जगह के पास सड़क बना रहा है, वह भारत का ‘चिकंस नेक’ कहलाने वाले सिलीगुड़ी गलियारे के बेहद करीब स्थित है। उत्तर पूर्वी राज्यों को देश के बाकी हिस्से से जोड़ने वाला यह इलाका महज 20 किलोमीटर चौड़ा है और सामरिक रूप से भारत के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण है। इस जगह के आसपास चीनी गतिविधि भारत की सुरक्षा के लिहाज से भी खतरनाक हैं। चीन चाहता है कि भारत डोकलाम से अपनी सेनाएं हटा ले, जबकि भारत चाहता है चीनी सैनिक हटें, तभी भारतीय सैनिक भी साथ ही हटाए जाएंगे।

डोकलाम गतिरोध चल ही रहा था कि कुछ दिनों पहले 15 अगस्त को लद्दाख की पेंगोंग झील में घुसपैठ की कोशिश में नाकाम होते देख चीनी सैनिकों ने पत्थरबाजी शुरू कर दी थी। पत्थरबाजी से दोनों तरफ सैनिकों को हल्की चोटें आर्इं। पीएलए के सैनिक दो इलाकों- फिंगर फोर और फिंगर फाइव में सुबह छह से नौ के बीच भारत की सीमा में घुसने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन दोनों ही मौकों पर भारतीय जवानों ने उनकी कोशिश असफल कर दी। चीन ने सोमवार को इस मामले में भारत के समक्ष विरोध दर्ज कराया। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने दावा किया कि यह घटना उस वक्त हुई जब चीनी सैनिक 15 अगस्त को झील इलाके के आस पास वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अपने क्षेत्र में सामान्य गश्त कर रहे थे। उन्होंने दावा किया, ‘इस दौरान, भारतीय सैनिकों ने कुछ हिंसक कार्रवाई की और चीनी सैनिकों को घायल कर दिया।’ हुआ ने कहा, ‘चीन ने गहरा असंतोष जाहिर किया है और भारत से सख्त ऐतराज जताया है।’ इस बाबत भारत ने कहा कि दोनों देशों के स्थानीय सैन्य कमांडरों ने घटना पर चर्चा की। चीनी सैनिकों ने घुसपैठ की थी।

भारत ने रुस से मांगा समर्थन

डोकलाम में चीन के साथ सैन्य गतिरोध को लेकर भारत ने रूस का समर्थन मांगा है। इस बाबत दोनों देशों के बीच राजनयिक स्तर की वार्ता चल रही है। भारत सरकार चाहती है कि अगले महीने के पहले हफ्ते में चीन में होने जा रहे ब्रिक्स बैठक से पहले इस मुद्दे पर रूस अपना रुख जाहिर कर दे। भारतीय राजनयिक चाहते हैं कि रूस की सरकार चीन से बात करे और वह चीन को भारत विरोधी रवैया छोड़ने के लिए मनाए। दोनों देशों की सरकारें इस मसले पर संपर्क में हैं। भारत चाहता है कि रूस कूटनीतिक रास्तों से चीन को विवादित जमीन पर सड़क बनाने से रोके। साथ ही, आतंकवाद जैसे मुद्दों पर भारत के रुख का समर्थन करे।

भारतीय राजनयिक डोकलाम विवाद शुरू होने के बाद से ही मास्को से संपर्क बनाए हुए हैं कि वह चीन को भारत विरोधी रवैया छोड़ने के लिए मनाए। इसी साल भारत ने परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह की सदस्यता के मसले पर चीन का विरोध रोकने के लिए रूस की मदद मांगी थी। विदेश मंत्रालय के एक आला अधिकारी ने कहा कि रूस एक अहम सामरिक साझेदार है और एक मित्र देश के साथ सुरक्षा मुद्दों पर चर्चा स्वभाविक है। भारतीय राजनयिकों ने ब्रिक्स सम्मेलन को लेकर तैयारी बैठकों में रूसी अधिकारियों के साथ डोकलाम के बारे में चर्चा की। रूस को यह बताने की कोशिश की गई है कि डोकलाम में सड़क बनाकर चीन यथास्थिति को तोड़ रहा है और यह स्थिति भारत की सुरक्षा के लिए यह खतरनाक है।
गौरतलब है कि तीन से पांच सितंबर तक चीन के श्यामन में ब्रिक्स सम्मेलन होना है। इस बैठक के पहले भारत चाहता है कि रूस के राजनयिक चीन के साथ वार्ता शुरू कर दें। चीन ने इस साल अप्रैल में होने वाली रूस-भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की बैठक का आयोजन टाल दिया था। रूस ने बैठक की नई तारीख तय कराने की कोशिश की, लेकिन कवायद सफल नहीं हो सकी। भारत चाहता है कि रूस की सरकार चीन को सड़क बनाने से रोके और आतंकवाद पर भारत के रूख का समर्थन करे।

उधर, डोकलाम मुद्दे को लेकर नेपाल पर चीनी दबाव से निपटने की कवायद भी जारी है। पद भार संभालने के बाद नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा अपने पहले विदेश दौरे पर बुधवार को भारत पहुंचेंगे। इस चार दिवसीय यात्रा में वे साझा हित के मुद्दों पर अपने भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी के साथ विस्तार से बातचीत करेंगे। विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान के मुताबिक देउबा के साथ उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आएगा। अपनी यात्रा के दौरान वे राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति से भी मुलाकात करेंगे। देउबा की इस यात्रा में चीन के साथ संबंधों पर भी चर्चा की जा सकती है।

बयान में कहा गया है कि हाल के वर्षों में भारत-नेपाल साझेदारी ने सहयोग के सभी क्षेत्रों में उल्लेखनीय विकास देखा है। आगामी दौरा दोनों पक्षों को साझा हितों के मुद्दों पर विस्तृत चर्चा करने और दोनों देशों के बीच दोस्ती के बेहद पुराने संबंधों को आगे बढ़ाने का अवसर मुहैया करवाएगा। देउबा जून 2017 में प्रधानमंत्री बने थे। अपने चार दिवसीय भारत दौरे में वे हैदराबाद, तिरुपति और बोधगया भी जाएंगे। देउबा का यह दौरा चीन के साथ नेपाल की बढ़ती दोस्ती और डोकलाम मुद्दे पर भारत-चीन संबंधों में तनाव के मद्देनजर महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। हाल के दिनों में चीन ने नेपाल की कई परियोजनाओं के लिए फंड जारी किए हैं। सड़क निर्माण की कई परियोजनाओं पर भारत ने आपत्ति जताई है।

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