जनसेवा की आड़ में चल रहा था किडनी का कारोबार

उत्तराखंड पुलिस ने देहरादून के गंगोत्री चैरिटेबल अस्पताल में जनसेवा की आड़ में चल रहे किडनी के कालेधंधे का भंडाफोड़ किया है। इस मामले में पुलिस ने मुंबई के जावेद खान को गिरफ्तार किया है। इस धंधे में लिप्त कई डॉक्टर और किडनी खरीद-फरोख्त का धंधा करने वाले चार लोग फरार हैं। इनकी तलाश में पुलिस कई राज्यों में दबिश मार रही है। यह अस्पताल जिस लाल तप्पड़ क्षेत्र में स्थित है, वह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के डोईवाला विधानसभा क्षेत्र में आता है।   पुलिस को किडनी के कालेधंधे के मुख्य सरगना डॉक्टर अमित रावल की तलाश है। पुलिस ने बीती रात हरिद्वार-देहरादून राष्टÑीय राजमार्ग के लाल तप्पड़ स्थित गंगोत्री चैरिटेबल अस्पताल में छापा मारा था। वहां पुलिस को किडनी खरीदने-बेचने से जुडेÞ कई अहम दस्तावेज भी बरामद हुए। मौके से पुलिस ने ओमान, मस्कट और दुबई समेत खाड़ी के कई देशों के हवाई टिकट और कुछ पते बरामद किए। इससे यह साबित होता है कि किडनी खरीदने और बेचने का धंधा अंतरराष्टÑीय स्तर पर चल रहा था।  साथ ही पुलिस ने अस्पताल से डायलिसिस मशीन समेत किडनी प्रत्यारोपित करने वाले कई उपकरण बरामद किए हैं। हैरत कीबात यह है कि इस अस्पताल में ओपीडी नहीं चलता, लेकिन आॅपरेशन थिएटर मौजूद है। पुलिस ने इस मामले में तीन चिकित्सकों, अस्पताल के संचालक और नर्स के अलावा कुल सात लोगों के खिलाफ देहरादून के थाना डोईवाला में मुकदमा दर्ज किया है। इनमें डॉक्टर अमित रावल के अलावा डॉक्टर संजय दास, डॉक्टर अक्षय, सुषमा कुमारी, जगदीश, चंदना और अस्पताल के ठेकेदार राजीव चौधरी शामिल हैं। पुलिस के अनुसार, इस गिरोह के तार तमिलनाडु, आंध्रप्रदेश, गुजरात, बंगाल, मुंबई समेत देश के कई राज्यों के अलावा खाड़ी देशों से भी जुडेÞ हुए थे। गरीबों की किडनी निकालकर उन्हें खाड़ी देशों के अमीर शेखों को बेचा जाता था। बीते तीन महीनों में 50 से ज्यादा लोगों की किडनी निकालकर बेची जा चुकी है। ओमान के चार नागरिकों की गिरफतारी के लिए दिल्ली, मुंबई समेत देश के कई अंतरराष्टÑीय हवाई अड्डों में अलर्ट कर दिया गया है।

किडनी खरीद-फरोख्त के काले धंधे का खुलासा हरिद्वार पुलिस के कांस्टेबल पंकज शर्मा की सूझ-बूझ से हुआ। रानीपुर थाने में तैनात शर्मा को अपने मुखबिर से तीन महीने पहले गंगोत्री चैरिटेबल अस्पताल में चल रहे किडनी के काले धंधे की जानकारी मिली। तब से शर्मा गिरोह को रंगे हाथ पकड़ने की जुगत में लगे हुए थे। आखिरकार उन्हें बीती रात इस गिरोह को पकड़ने में कामयाबी मिली। शर्मा के मुताबिक, उन्हें यह सूचना मिली कि इनोवा कार में लाल तप्पड़ से किडनी खरीदने-बेचने के कालेधंधे के गिरोहबाज हरिद्वार की ओर आ रहे हैं, जहां से वे दिल्ली रवाना होंगे। हरिद्वार की सप्तऋषि चुंगी में पुलिस ने देहरादून से हरिद्वार को आने वाली गाड़ियों की छानबीन करनी शुरू कर दी। एक इनोवा कार में पुलिस ने चार लोगों को संदिग्ध स्थिति में पकड़ा। कड़ी पूछताछ के बाद इस गिरोह के सदस्य जावेद खान ने सारी कहानी पुलिस के सामने उगल दी।

इस कार में सवार बंगाल के कृष्णादास और शेखताज अली ने बताया कि उन्हें नौकरी के नाम पर बहला-फुसलाकर यहां लाया गया और मेडिकल टैस्ट के नाम पर उनकी किड़नी निकाल ली गई। जब उन्हें किडनी निकलने का पता चला तो उनके विरोध करने पर दो-दो लाख रुपए दे दिए गए। शर्मा के मुताबिक, इस गिरोह के लोग दक्षिण भारत के कई राज्यों के अलावा गुजरात, मध्यप्रदेश, महाराष्टÑ से गरीब लोगों को नौकरी दिलाने का झांसा देकर देहरादून लाते थे और यहां मेडिकल जांच के बहाने उनकी किडनी निकाल लेते थे। इस तरह गंगोत्री चैरिटेबल अस्पताल में गरीबों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा था।पकड़े गए दलाल जावेद खान ने बताया कि किडनी प्रत्यारोपण के लिए एक मरीज से 25 से 50 लाख रुपए तक वसूले जाते थे, जबकि गरीबों को किडनी निकाले जाने के बदले 50 हजार से दो लाख रुपए तक दिए जाते थे।देहरादून की वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निवेदिता कुकरेती ने बताया कि डेढ़ साल पहले इस अस्पताल को न्यूज मीडिया प्राइवेट लिमिटेड को किराए पर दिया गया था। डॉक्टर अमित रावल इसमें मुख्य किरायेदार था। इसी की देखरेख में ही यह धंधा चल रहा था। इस अस्पताल में जिन अन्य लोगों की किडनी निकाली जानी थी, उनमें गुजरात के जिला खेड़ा के रहने वाले भावजी भाई, बंगाल के 24 परगना जिले की रहने वाली सुसामा बनर्जी शामिल हैं। उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अनिल कुमार रतूड़ी का कहना है कि किडनी खरीद-फरोख्त गिरोह के नेटवर्क की तह तक में जाने के लिए देहरादून जिले की पुलिस अधीक्षक देहात सरिता डोभाल की अगुवाई में एक विशेष जांच टीम गठित की गई है। इस जांच टीम की रिपोर्ट आने के बाद इस मामले में कड़ी कार्रवाई की जाएगी।

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