दिल्ली- छोटे कारोबारियों ने कहा, फांसी लगा दी, बस जान नहीं निकल रही

इन फैसलों से हमें फांसी तो लग गई है बस मर नहीं रहें हैं। जिंदा रहते हुए भी तड़प रहे हैं। नोटबंदी और जीएसटी लागू होने के बाद काम खत्म हो गया है। पहले जहां एक दिन में चार हजार कमा लेता था वहीं आज दो हजार भी नहीं बच रहा है। दुकान में काम करने वाले लड़के भी काम छोड़ कर चले गए। घर का खर्चा चलाने के लिए मैंने अपना एक प्लॉट बेच दिया। अब क्या करें बच्चे पालने हैं तो कुछ तो करना पड़ेगा न।’ यह कहना है 22 साल से बेकरी का काम करने वाले सिकंदर खान का। पूर्वी दिल्ली के वेस्ट विनोद नगर में अपना कारोबार चला रहे खान ने कहा, ‘अगर ऐसा ही चलता रहा तो कुछ दिनों में यह दुकान भी बंद करनी पड़ेगी।  जीएसटी का असर केवल बेकरी ही नहीं बल्कि साइबर कैफे, कपड़ा, मोबाइल, कॉस्मेटिक और ब्यूटी पार्लर भी पड़ा है। पूर्वी दिल्ली में अपना साइबर कैफे चलाने वाले रविकांत पायलट कहते हैं, ‘सरकार बहुत होशियार है। उसने यह तो कह दिया कि साल में 20 लाख से कम कमाने वाले व्यापारी जीएसटी में नहीं आएंगे। लेकिन आज जब मैं प्रिंटआउट के लिए पेपर का बंडल खरीदने जाता हंू तो 1300 रुपए का बंडल 1600 रुपए का पड़ता है। तो वहीं जो इंक जीएसटी लगने से पहले 400 रुपए तक मिल जाती थी आज पौने छह सौ रुपए की मिल रही है। नोटबंदी के बाद जेबें वैसे ही खाली हो गई थींं। अब खाली जेबों के ऊपर भी जीएसटी लगा दिया है। हमें सामान महंगा पड़ता है तो हम ग्राहक को सामान महंगा बेचते हैं। इस वजह से ग्राहक भी पहले से कम हो गए। नोटबंदी और जीएसटी ने हमारी तो कमर तोड़ दी है’।

पूर्वी दिल्ली के स्टेशनरी के छोटे कारोबारी अश्विनी राय ने कहा, ‘जीएसटी से हमारे ग्राहक कम हुए हैं। पहले हम और कंपनियों के साथ भी काम कर सकते थे, लेकिन अब सभी को जीएसटी नंबर चाहिए। अब मेरा टर्नओवर 20 लाख से कम है और मैं जीएसटी के दायरे में नहीं आता। फिर भी मुझे नुकसान उठाना पड़ रहा है।’ ब्यूटी पार्लर चलाने वालीं प्रभा कहती हैं कि अभी शादियों और त्योहारों का सीजन है और इस बार तो जैसे सब कुछ ठप पड़ा है। वे बताती हैं कि जो ब्लू हेवन का काजल 15 रुपए में आता था वही आज 20 रुपए का आ रहा है। सदर से थोक में जो सामान मैं पहले 4000 का लेकर आती थी वही इस बार 6000 का है। पहले जहां मैं महीने मैं 8000 कमा लेती थी आज 5000 ही कमा पा रही हूं। पति की तबीयत खराब है, मुझे ही घर चलाना है।  ‘जब हवा चलती है तो असर सभी पर पड़ता है। ये खाली सरकार के चोंचले हैं कि जीएसटी का असर छोटे दुकानदार पर नहीं पड़ेगा लेकिन इसका असर सभी पर पड़ रहा है।’ ये बातें सुल्तान आरिब ने कहीं। सुल्तान आरिब की जूतों की दुकान है।

सिंगला इलेक्ट्रॉनिक्स दुकान के मालिक प्रिंस का कहना है कि अब पहले के मुकाबले मुनाफा कम हुआ है। कॉस्मेटिक की दुकान चलाने वाले धर्मवीर कहते हैं कि सरकार ने हर समान के ऊपर जीएसटी लगा दिया है। अब हम कितने सामान का जीएसटी स्लैब याद रखें। उन्होंने अपने सामान का जीएसटी बिल दिखाया। जिसमें उन्होंने बताया कि 140 ग्राम हर्बल मेहंदी खरीदने पर उसमें 14 फीसद जीएसटी लग जाता है और वही सामान उन्हें 105.60 रुपए में बेचना पड़ता है। वे कहते हैं कि जब ग्राहक इस रेट पर सामान नहीं खरीदते तो 10 से पांच रुपए कम भी करने पड़ते हैं और यह नुकसान मुझे ही उठाना पड़ता है।
कपड़ा दुकानदार संजय कहते हैं कि इस बार कमाई में 34 से 35 फीसद कमी आई है। जो ग्राहक 1000 रुपए की साड़ी खरीदता था अब वह 500 पर आ गया है। दुकानदारों का कहना है कि जीएसटी लागू होने के बाद भी टैक्स चोरी रुकी नहीं है। ग्राहकों का कहना है कि जीएसटी के बाद भी दुकानदार पक्का बिल नहीं देते हैं।

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