नहीं छोड़ रहे हैं ‘स्मोकिंग’ तो जल्दी दबोचेगा बुढ़ापा

आजकल युवाओं में सिगरेट पीने वालों की संख्या में तेजी से बढ़ोत्तरी होती जा रही है। बहुत से लोग ऐसे हैं जो सिगरेट छोड़ना भी चाहते हैं, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद वो अपने इस कोशिश में असफल हो जाते हैं। सिगरेट का धुआं उसे पीने वाले को तो नुकसान पहुंचाता ही है, साथ ही साथ आस-पास के लोगों की सेहत के लिए भी काफी नुकसानदेह होता है। इन सबके अलावा एक ताजा शोध में यह बात भी सामने आई है कि सिगरेट पीने से बुढ़ापे वाली कमजोरी का खतरा 60 प्रतिशत तक बढ़ जाता है।

एज एंड एजिंग नाम के एक जर्नल में प्रकाशित इस शोध में कहा गया है कि सिगरेट की लत न छोड़ने की वजह से बुढ़ापे में होने वाली शारीरिक कमजोरी की समस्या थोड़ी जल्दी आ सकती है। शोधकर्ताओं का कहना है कि स्मोकिंग की वजह से कई तरह की बीमारियां शरीर में दस्तक देती हैं। इन बीमारियों में पल्मोनरी संबंधी बीमारियां, कोरोनरी हर्ट डिसीज, स्ट्रोक तथा नाड़ी संबंधी बीमारियां शामिल हैं। इन बीमारियों की वजह से इंसान के शारीरिक, मानसिक और सामाजिक स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है।

शोध में 60 साल या उससे ज्यादा की उम्र के तकरीबन 2542 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया था। शोध में शामिल इन लोगों को कई श्रेणियों में बांटा गया था। सबसे पहले सभी लोगों को दो ग्रुप्स स्मोकर्स और नॉन स्मोकर्स में बांटा गया। नॉन-स्मोकर्स को भी दो ग्रुपों में बांटा गया। इनमें पहले ग्रुप में उन लोगों को रखा गया जो पहले स्मोक करते थे, अब नहीं करते और दूसरे ग्रुप में उन लोगों को रखा गया जिन्होंने कभी स्मोक नहीं किया था। इसके अलावा भी एक ग्रुप में दो ऐसी श्रेणियां थीं जिनमें पहली श्रेणी उन लोगों की थी जिन्हें सिगरेट छोड़े केवल 10 साल हुए थे और दूसरी श्रेणी उन लोगों की थी जो 10 साल से ज्यादा वक्त से सिगरेट छोड़ चुके थे। शोध का निष्कर्ष यह था कि ऐसे लोग जो अब भी स्मोकिंग करते थे उनमें कमजोरी का खतरा ज्यादा पाया गया जबकि वे लोग जो स्मोकिंग छोड़ चुके थे उनमें इसका खतरा काफी कम था।

 

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