पहले प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र फूलपुर में फिर चुनावी सरगर्मी

स्वामीनाथ शुक्ला

आजादी के बाद नेहरू खानदान की राजनीति का पहला चिराग गंगा मइया के किनारे फूलपुर में जला था। इसके बाद लोकतंत्र के पहले लोकसभा चुनाव में जवाहर लाल नेहरू फूलपुर के सांसद और देश के पहले प्रधानमंत्री बने थे। फूलपुर की जनता ने नेहरू खानदान को 1952 से 1967 तक 5 बार सांसद चुना था। इसमें तीन बार पंडित जवाहर लाल नेहरू और दो बार उनकी बहन विजय लक्ष्मी पंडित सदन गई थीं। इनके बाद कांग्रेस के दो और सांसद पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह 1971 और रामपूजन पटेल 1984 में कांग्रेस के सांसद चुने गए थे। केशव प्रसाद मौर्य के इस्तीफे से खाली सीट फूलपुर का उपचुनाव 11 मार्च को होना है। इस सीट पर कांग्रेस के मनीष मिश्र, सपा के नागेंद्र प्रताप सिंह पटेल और भाजपा के कौशलेंद्र पटेल उम्मीदवार हैं। फूलपुर का चुनाव भाजपा के लिए चुनौती बन गया है।

जवाहर लाल नेहरू फूलपुर के पहले सांसद थे। फूलपुर लोकसभा सीट पर 1952 से लेकर 2014 तक के चुनाव में 18 सांसद बन चुके हैं। इसमें सबसे ज्यादा सांसद कांग्रेस के थे। नेहरू की सीट होने के कारण यह संसदीय क्षेत्र हमेशा चर्चित रहा। फूलपुर लोकसभा क्षेत्र गंगा के किनारे बसा है। इस लोकसभा सीट पर जीत के लिए संगम के घाट पर गंगा में डुबकी लगाने के बाद चुनाव प्रचार की शुरुआत होती है। लेकिन गंगा का आशीर्वाद सबको नहीं मिलता है। फूलपुर के 18 संसदीय चुनावों में तीन उपचुनाव जुड़े हुए हैं। 1952, 1957 और 1962 में जवाहर लाल नेहरू सांसद बने थे। इनके बाद विजय लक्ष्मी पंडित 1964 और 1967 में कांग्रेस की सांसद चुनी गई थीं। राजीव गांधी की आंधी में रामपूजन पटेल 1984 में कांग्रेस के सांसद बने थे। कांग्रेस के बाद समाजवादी पार्टी लगातार चार बार चुनाव जीत चुकी है। जंग बहादुर पटेल 1996 में पहली बार सपा का खाता खोल पाए थे।

1999 में धरमराज पटेल और 2004 में अतीक अहमद सपा के सांसद चुने गए थे। 1969 के उपचुनाव में जनेश्वर मिश्र सोशल पार्टी से सांसद बने थे। इसके बाद रामपूजन पटेल 1989 और 1991 में जनता दल से सांसद चुने गए थे। कमला बहुगुणा 1977 में केवल एक बार जनता पार्टी से सांसद बनी थीं। बीडी सिंह 1980 में जनता पार्टी सेकुलर से जीते थे। कपिल मुनि करवरिया 2009 में बसपा से जीते थे। भाजपा के केशव प्रसाद मौर्य ने 2014 में पहली बार भाजपा को यह सीट दिलाई। यहां से कांग्रेस 7, सपा 4, जनता दल 2, बाकी सब एक-एक बार जीते।

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