पेलेट गन से आंखों की रोशनी गंवाने के बाद भी इस कश्मीरी लड़की ने नहीं हारी हिम्मत, पास की दसवीं परीक्षा
नवीद इकबाल
साल 2016 में जब जम्मू-कश्मीर में भारी अशांति का माहौल था तब सुरक्षाबलों द्वारा इस्तेमाल पैलेट गन से घायल हुई एक छात्रा ने जिंदगी की लड़ाई में हिम्मत नहीं हारी। उसने अपने हौसले का परिचय देते हुए दसवीं की बोर्ड परीक्षा पास कर ली है। मंगलवार (09 जनवरी) को आए नतीजों के बाद 17 साल की इंशा मुश्ताक के चेहरे पर मुस्कान छा गई। उसने सबसे पहले यह खबर अपनी मां को फिर दोनों भाइयों को दी। पैलेट गन से घायल होने के बाद पिछले डेढ़ साल से इंशा मुश्ताक की जिंदगी उतार-चढ़ाव वाली रही है लेकिन खुशी के इस पल ने उसके सारे दुखों पर मरहम लगा दिया है। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए इंशा ने कहा, “मेरे लिए यह बहुत मुश्किल था लेकिन मैं बहुत खुश हूं। मैंने बोर्ड इम्तिहान पास कर लिया है। अब आगे की पढ़ाई के लिए तैयार हूं।”
इंशा ने अपने गृह नगर शोपियां के प्राइवेट स्कूल मोहम्मदिया इन्स्टीट्यूशन में नवंबर 2017 में बोर्ड परीक्षा दी थी। उसने बताया कि परीक्षा के दौरान उसने बाहरी सहायक लेखक के तौर पर अपनी दोस्त निना का सहयोग लिया था। इसके अलावा उसे आधा घंटा अधिक समय भी दिया गया था। इंशा ने परीक्षा की तैयारियों के बारे में बताया, “हर दिन मेरे घर तीन ट्यूटर आते थे। वे मुझे टेक्स्ट बुक पढ़कर सुनाते थे। मैं उसे अगले दिन दोहराती थी।” इंशा बताती हैं कि चूंकि वह गणित विषय में ऐसा नहीं कर सकती थी इसलिए गणित की जगह संगीत विषय का चुनाव किया। उन्होंने कहा, “मैं अभी भी ब्राइल लिपि सीख रही हूं।”
इंशा के अंक पत्र बताते हैं कि उसने परीक्षा पास कर ली है लेकिन उसे अभी और बेहतर करना होगा। उसे पांच विषयों में 6 से 8 जीपीए के बीच ग्रेड प्राप्त हुए हैं। हालांकि, इंशा कहती है, “मैं अपने परीक्षा परिणाम से खुश हूं।” बता दें कि जम्मू-कश्मीर स्टेट बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने मंगलवार को ही परीक्षा परिणाम जारी किए हैं। रिजल्ट जारी होने के बाद सोशल मीडिया पर भी इंशा को बधाई दी जा रही है। राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने भी ट्वीट कर इंशा को बधाई दी है और लिखा है कि साल 2016 में सुरक्षाबलों के पेलेट गन का शिकार होने और आंखों की रोशनी गंवाने के बावजूद इंशा ने न केवल हिम्मत का परिचय दिया है बल्कि 10वीं की बोर्ड इम्तिहान पास कर मिसाल पेश की है। अब्दुल्ला ने लिखा है, “अल्लाह तुम्हें तुमारे कठोर परिश्रम और साहस का उचित इनाम दें।”
साल 2016 में कश्मीर घाटी में आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने के तीन दिन बाद ही सुरक्षाबलों की कार्रवाई में इंशा पेलेट गन से घायल हुई थीं। तब उसकी उम्र मात्र 15 साल थी। उसके पिता मुश्ताक अहमद लोन बताते हैं कि हमलोग इंशा को पढ़ने में कोई मदद नहीं कर सके लेकिन वो अपने ट्यूटर के साथ घंटों तक रोजाना मेहनत करती थी।