बिहार में ‘खीर’ पका रहे केन्द्रीय मंत्री उपेन्द्र कुशवाहा ने मारी पलटी, बोले- ना राजद से दूध मांगा, ना ही बीजेपी से चीनी
एनडीए में साझेदार और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के खीर वाले बयान से बिहार की सियासत में दूरगामी मायने निकाले जा रहे थे। लेकिन अपने बयान के ठीक एक दिन बाद उपेंद्र कुशवाहा ने सारी तस्वीर साफ कर दी है। उन्होंने कहा कि हमने न तो राजद से दूध न मांगा है और न ही भाजपा से चीनी। हम सामाजिक समरसता के समर्थक हैं। जिसे जो अर्थ लगाना हो लगाता रहे। वैसे बता दें राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा पहले भी इशारों में अपने असंतोष को जताते रहे हैं।
समाचार एजेंसी एएनआई के साथ बातचीत में केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा,” खीर के लिए यदूवंशी के घर का दूध, कुशवंशी के घर का चावल, अतिपछड़ा के घर का पंचमेवा, ब्राह्मण के घर से चीनी, दलित के आंगन से तुलसी दल और मिल बैठकर खाने के लिए मुसलमान भाई के दस्तरखान की जरूरत है। हमने न राजद से दूध मांगा है और न ही भाजपा से चीनी। यदूवंशी का अर्थ न तो राजद है और न ब्रह्मर्षि का अर्थ कोई खास दल । रालोसपा सभी जमात की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाना चाहती है । यदूवंशी की ओर भी । हम अपनी पार्टी के जनाधार को व्यापकता देने के लिए ऐसा करेंगे । जिन्हें जो अर्थ लगाना हो लगाते रहें।”
खीर के लिए यदूवंशी के घर का दूध, कुशवंशी के घर का चावल, अतिपछड़ा के घर का पंचमेवा, ब्राह्मण के घर से चीनी, दलित के आंगन से तुलसी दल और मिल बैठकर खाने के लिए मुसलमान भाई के दस्तरखान की जरूरत है ।
उपेंद्र कुशवाहा के बयान के मायने समझते हुए पूर्व डिप्टी सीएम और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव ने उनका स्वागत किया था। तेजस्वी ने जवाब दिया था, “निःसंदेह उपेन्द्र जी, स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की जरुरत है। पंचमेवा के स्वास्थ्यवर्धक गुण ना केवल शरीर बल्कि स्वस्थ समतामूलक समाज के निर्माण में भी ऊर्जा देते हैं। प्रेमभाव से बनायी गई खीर में पौष्टिकता, स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है। यह एक अच्छा व्यंजन है।”
बता दें कि उपेन्द्र कुशवाहा जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार से बिहार के सीएम पद को छोड़ने की मांग कर चुके हैं। उपेन्द्र कुशवाहा का कहना है कि नीतीश कुमार बिहार में 15 साल शासन कर चुके हैं और अब उन्हें ये पद छोड़ देना चाहिए। आरएलएसपी के नेता उपेन्द्र कुशवाहा को बिहार के सीएम पद का कैंडिडेट घोषित करने की मांग कर चुके हैं। बिहार में लोकसभा चुनाव को लेकर सीटों के बंटवारे पर भी फेंच फंसा हुआ है। आरएलएसपी जेडीयू से ज्यादा सीटें मांग रही है। 2014 में एनडीए के साथ मिलकर RLSP ने 3 सीटें जीती थीं।