मुसलमान महिला से शादी के लिए हुआ बहिष्कार, 61 साल के शख्स ने दर्ज कराया केस

चन्दन शांताराम

मुस्लिम महिला से शादी करने पर सामाजिक बहिष्कार का दंश झेल रहे रमेश दत्तू हिरणवाले (61) ने मंगलवार (17 अक्टूबर) को पुलिस में शिकायत की है। शिकायत में हिरणवाले ने आरोप लगाया कि साल 1992 में मुस्लिम महिला से शादी के बाद से ही वीरशैव लिंगायत गावली समुदाय (Veershaiva Lingayat Gawali community) ने उनका बहिष्कार कर रखा है। मामले में पुलिस ने 20 लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। सभी हिरणवाले के समुदाय की पंचायत के सदस्य हैं। हिरणवाले कहते हैं कि समुदाय की पंचायत ने उनके पिता के अंतिम संस्कार में भी शामिल होने की अनुमति नहीं दी। कहा गया कि सामाजिक बहिष्कार तभी खत्म हो सकता है जब मैं किसी हिंदू महिला से शादी करूं। पंचायत ने दिसंबर 2016 में भांजी के सगाई समारोह में भी नहीं आने दिया।

हिरणवाले ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मुझे एक मुस्लिम महिला शमसुन्ननिशा खान से प्रेम हो गया था, जो मेरे पड़ोस में ही रहती थी। बाद में हम दोनों ने 19 जून, 1992 में शादी कर ली थी। जिसके बाद मेरी जाति की पंचायत ने मेरा बहिष्कार कर दिया। मुझे अपना पैतृक घर भी छोड़ना पड़ा। मैं शमसुन्ननिशा के घर रहने लगा। मैंने कई बार जाति पंचायत से गुहार लगाई कि वो इस बहिष्कार को खत्म करें। मैंने माफी भी मांगी। लेकिन मेरा बहिष्कार चलता रहा। आखिर में इसे खत्म करने के लिए उन्होंने मेरे सामने एक प्रस्ताव रखा। इसमें कहा गया कि अगर मैं किसी हिंदू महिला से शादी करता हूं तो ये बहिष्कार खत्म हो जाएगा। मुझपर बहुत दबाव था, जिससे मुझे पुणे की एक हिंदू महिला से शादी करनी पड़ी। लेकिन इसके बाद भी पंचायत का रवैया पहले जैसा ही बना रहा।’

रमेश दत्तू हिरणवाले ने आगे बताया, ‘मैं वापस शमसुन्ननिशा के पास गया। उन्होंने मेरा समर्थन किया। उनके परिवार ने मुझे दोबारा अपनाया। वो मुस्लिम शादियों में कार्ड पर मेरा नाम लिखकर मुझे सम्मान देते हैं। लेकिन इस सम्मान के लिए मैं अपने समुदाय में अछूता रहा। मैं अपने पैतृक घर गया जहां परिवार के लोगों से मिला। हालांकि वो मुझसे नफरत नहीं करते, लेकिन वो भी पंचायत की बंदिशों की चलते मजबूर हैं।’ हिरणवाले ने आरोप लगाया कि पंचायत के कुछ सदस्य सामाजिक बहिष्कार को खत्म करने के लिए पैसों की मांग करते हैं।

लेकिन अपने ही समुदाय के अरुण किशन (48) द्वारा आत्महत्या के बाद हिरणवाले ने इसके खिलाफ आवाज उठाने का फैसला किया। गौरतलब है कि पिछले साल इसी समुदाय द्वारा अरुण के लगातार उत्पीड़न पर उन्होंने आत्महत्या कर ली। अरुण के भाई का आरोप है कि उनके भाई का सिर्फ इसलिए बहिष्कार कर दिया गया क्योंकि उन्होंने जाति के बाहर की एक महिला के विवाह में मदद की थी। घटना के बाद पंचायत के कुछ सदस्यों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की गई। लेकिन बाद में शिकायत वापस ले ली गई। मामले में हिरणवाले कहते हैं कि उन्होंने बीते साल सितंबर में पुलिस से अनुरोध किया था पंचायत के खिलाफ उनकी भी शिकायत दर्ज की जाए। लेकिन एफआईआर दर्ज नहीं की गई। लेकिन एक सामाजिक संस्था के दखल के बाद पंचायत सदस्यों के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई है।

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