युवाओं में किडनी प्रत्यारोपण तक की नौबत, हाई बीपी और मधुमेह की समस्या बढ़ी

अनियमित जीवन शैली युवाओं में भी उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या को बढ़ा रही है। इन समस्याओं की वजह से कम उम्र में किडनी प्रत्यारोपण तक की नौबत आ जाती है।
किडनी रोग विशेषज्ञों के मुताबिक अनियंत्रित उच्च रक्तचाप का समय पर उपचार नहीं होने के कारण 20 से 40 साल की उम्र के युवाओं को भविष्य में किडनी खराब होने की स्थिति का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में किडनी तक बदलवानी पड़ती है। राजधानी के वेंकटेश्वर अस्पताल के किडनी प्रत्यारोपण के निदेशक डॉ पीपी वर्मा ने कहा कि भारत में किडनी फेल होने के करीब 70 फीसद मामलों के लिए मधुमेह व उच्च रक्तचाप जिम्मेदार है।

अनियमित जीवन शैली युवाओं में भी उच्च रक्तचाप और मधुमेह की समस्या को बढ़ा रही है। इन समस्याओं की वजह से कम उम्र में किडनी प्रत्यारोपण तक की नौबत आ जाती है।

किडनी रोग विशेषज्ञों के मुताबिक अनियंत्रित उच्च रक्तचाप का समय पर उपचार नहीं होने के कारण 20 से 40 साल की उम्र के युवाओं को भविष्य में किडनी खराब होने की स्थिति का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में किडनी तक बदलवानी पड़ती है। राजधानी के वेंकटेश्वर अस्पताल के किडनी प्रत्यारोपण के निदेशक डॉ पीपी वर्मा ने कहा कि भारत में किडनी फेल होने के करीब 70 फीसद मामलों के लिए मधुमेह व उच्च रक्तचाप जिम्मेदार है।

युवाओं में खराब जीवन शैली के कारण ये समस्याएं बढ़ रही हैं। उनके मुताबिक उनके पास एक मामला आया जिसमें एक युवती में अनियंत्रित उच्च रक्तचाप के कारण किडनी निष्क्रिय होने की वजह से प्रत्यारोपण करना पड़ा। 25 साल की युवती को सिर दर्द, कम भूख लगने, चक्कर आने और पैर में सूजन बढ़ने-घटने जैसे लक्षणों से दो चार होना पड़ रहा था। दो साल तक इन लक्षणों की अनदेखी की गई। एक दिन महिला को सांस लेने में परेशानी की शिकायत के साथ इमरजंसी में लाना पड़ा तब उसे उच्च रक्तचाप और किडनी निष्क्रिय होने का पता चला। फोर्टिस नोएडा के नेफ्रोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ मनोज कुमार सिंघल ने कहा कि उच्च रक्तचाप और डायबिटीज किडनी के निष्क्रिय होने के मुख्य कारण हैं। उच्च रक्तचाप से किडनी पर दुष्प्रभाव पड़ने की आशंका भी सर्वाधिक होती है। उन्होंने कहा कि उच्च रक्तचाप का पता चलने पर किडनी की भी जांच करानी चाहिए। उच्च रक्तचाप ‘साइलेंट’ बीमारी है। कई बार कोई लक्षण नहीं होने से इसका पता नहीं चल पाता। कम उम्र में किडनी खराब होने के मामले सामने आने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि उनके पास 14-15 साल की उम्र तक का रोगी आ चुका है जिसकी डायलिसिस करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि समय पर इस समस्या का पता चल जाए और इलाज हो जाए तो आगे गंभीर बीमारी होने से रोका जा सकता है।

एशियन इंस्टीट्यूट आॅफ मेडिकल साइंसेज, फरीदाबाद के नेफ्रोलॉजी और रीनल ट्रांसप्लांट के निदेशक डॉ जितेंद्र कुमार ने कहा कि खराब जीवन शैली की वजह से उच्च रक्तचाप, मधुमेह, यूरिक एसिड और कॉलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या युवाओं में आम है। इन समस्याओं से किडनी खराब होने का खतरा सर्वाधिक होता है। उन्होंने जीवन शैली संतुलित करने के साथ व्यायाम करने पर जोर दिया। डॉ कुमार ने कहा कि विदेशों में पिज्जा, बर्गर जैसे फास्ट फूड के खिलाफ और सलाद व व्यायाम के समर्थन में माहौल बन रहा है जबकि हमारे देश में इस तरह के भोजन व जीवन शैली जोर पकड़ रही है।

 

 

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