रद्द हो सकती है रूस के साथ लड़ाकू विमान परियोजना

भारत ने परियोजना की उच्च लागत के कारण पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान (एफजीएफए) के संयुक्त विकास के साथ आगे बढ़ने के लिए रूस के समक्ष अपनी अनिच्छा व्यक्त की है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों के मुताबिक संयुक्त परियोजना रद्द की जा सकती है। दोनों देशों के बीच इस बारे में चल रही बातचीत रोके जाने के फैसले पर अभी मुहर नहीं लगी है। भारत के लिए यह महत्वाकांक्षी परियोजना है। रक्षा मंत्रालय के अधिकारी इस प्रयास में है कि दोनों देशों के बीच उचित लागत को साझा करने का कोई फॉर्मूला निकल आए। तभी लड़ाकू विमान के सह-विकास पर फिर से विचार किया जाएगा।

भारत और रूस ने दो रणनीतिक साझेदारों के बीच सैन्य संबंधों को अगले स्तर तक ले जाने के वादे के साथ 2007 में इस मेगा परियोजना के लिए अंतर-सरकारी समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। पिछले 11 वर्षों से यह परियोजना अटकी हुई है, क्योंकि लड़ाकू विमान के विकास की लागत को साझा करने पर दोनों देशों के बीच गंभीर मतभेद हैं। परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 30 अरब अमेरिकी डॉलर या दो लाख करोड़ रुपए है। लागत समेत परियोजना के विभिन्न पहलुओं पर हमारी स्थिति रूसी पक्ष को बता दी गई है और अभी तक मुद्दों का कोई समाधान नहीं निकला है। पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर र्पिरकर से मंजूरी मिलने के बाद परियोजना पर दोनों देशों के बीच फरवरी, 2016 में बातचीत को फिर से शुरू किया गया था।

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