राजस्थान: साइबर अपराधों में तेजी से बढोतरी पर निपटने के इंतजामों में भारी कमी

राजस्थान में साइबर अपराधों का ग्राफ जिस तेजी से बढ रहा है उससे निपटने के इंतजामों में पुलिस की उतनी ही सुस्ती सामने आ रही है। साइबर अपराध से निपटने के लिए सरकार बडे बडे दावें और योजनाओं की घोषणा तो करती है पर जमीनी हकीकत उसके बिल्कुल उलट है। नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकडें कहते है कि राज्य में इंटरनेट के जरिये होने वाले आर्थिक अपराधों में तेजी से बढोतरी हो रही है। ब्यूरो के आंकडों के हिसाब से वर्ष 2014-15 की तुलना में 2015-16 में राज्य में साइबर अपराधों में 36 फीसद की बढोतरी हुई है। ब्यूरो के पिछले वर्ष जारी आंकडों के मुताबिक राजस्थान देश में साइबर अपराधों में चौथे नंबर पर पहुंच गया और इससे पहले पांचवें स्थान पर था। इसके साथ ही इन अपराधों से निपटने में पुलिस की तैयारियां नाकाफी ही साबित हो रही है। प्रदेश में दर्ज होने वाले साइबर अपराधों में कुछ ही मामलों में पुलिस अपराधियों तक पहुंच पा रही है। इसमें भी ऐसे अपराधियों के सरगनाओं को पकडने में उसे असफलता ही हाथ लग रही है। प्रदेश में पिछले कुछ समय में घटित हुए साइबर अपराधों में ज्यादातर में पुलिस ने सरगनाओं के यहां काम करने वालों को ही पकड कर अपनी पीठ थपथपाने का काम किया है। साइबर ठगी का शिकार हो चुके जयपुर के संजय क ासलीवाल का कहना है कि उनके साथ बैंकिंग ठगी की घटना हुई थी। इस मामले में उनके कार्ड से भुगतान उठा लिया गया था।

इसकी रिपोर्ट पुलिस में दर्ज कराने के बाद उन्हें ही तमाम दस्तावेज और जानकारियां जुटा कर देनी पडी थी। इसके बावजूद छह महीने तक पुलिस की साइबर शाखा कुछ भी पता नहीं कर पा रही है। ठगों की लोकेशन तक मालूम नहीं कर पाना पुलिस की नाकामी को ही दर्शाता है।नेशनल क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के आंकडों के मुताबिक तो महाराष्ट्र और कर्नाटक के बाद राजस्थान में सबसे ज्यादा लोगों से क्रेडिट और डेबिट कार्ड की डिटेल पूछी गई। इनकी संख्या करीब 5 हजार थी, जिनमें सबसे ज्यादा जयपुर शहर के लोगों से जानी गई। पुलिस ने दर्ज मामलों की खोजबीन करके कुछ अपराधियों को झारखंड से जरूर गिरफतार किया। पुलिस का कहना है कि झारखंड का जमतारा जिला साइबर अपराधियों का गढ है। पुलिस ने बडी संख्या में वहां से लोगों को गिरफतार किया पर इसके बावजूद इस तरह के ठगी के लिए लोगों के पास नियमित फोन आने की रिपोर्ट पुलिस तक पहुंच रही है। बैंक के के्रडिट और डेबिट कार्ड के जरिये सबसे ज्यादा आर्थिक अपराध घटित हो रहे है और लोग आसानी से इन ठगों के चक्कर में आकर अपनी बैंक से जुडी गोपनीय जानकारी दे बैठते है। साइबर क्राइम की चपेट में आने वाले ज्यादातर लोग पढे लिखे वर्ग के है। ऐसे अपराधों से निपटने के लिए न पुलिस तैयार है और न ही लोग।

पुलिस वालों के लिए साइबर अपराधों से निपटने के लिए कोई प्रशिक्षण तक की बेहतर सुविधा ही नहीं है। उन्हें भी बाहर से साइबर विशेषज्ञों की मदद लेकर अपराध की तह तक जाना पड रहा है। गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया छह महीने पहले ही जोन स्तर पर साइबर सेल गठित करने की घोषणा की थी। इसे अभी तक अमल में लाने की दिशा में कोई प्रयास ही नहीं किया जा रहा है। प्रदेश में सिर्फ जयपुर और स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो में ही साइबर सेल है जबकि कई प्रदेशों में जिला स्तर तक यह बन गया है। स्टेट क्राइम रिकार्ड ब्यूरो के एसपी पंकज चौधरी का कहना है कि साइबर अपराधों से बचने और निपटने के लिए सबसे बडी जरूरत जागरूकता की है। प्रदेश में जोन स्तर पर साइबर सेल बनाने की तैयारियां चल रही है। जिस ढंग से साइबर अपराध बढ रहे है उसके लिए तो ऐसी सेल थाना स्तर पर खोली जानी चाहिए।

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