सीसीटीवी घोटाले की जांच करे सीबीआइ

दिल्ली कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन की अगुआई में कांग्रेस नेताओं ने सोमवार को उपराज्यपाल अनिल बैजल से मुलाकात कर दिल्ली में सीसीटीवी लगाने की प्रस्तावित परियोजना में कथित ‘घोटाले’ की सीबीआइ से जांच कराने की मांग की। उपराज्यपाल से मुलाकात के बाद दिल्ली कांग्रेस के अध्यक्ष अजय माकन ने आरोप लगाया कि केजरीवाल सरकार ने महिला सुरक्षा के नाम पर सीसीटीवी परियोजना में भ्रष्टाचार किया है। माकन ने कहा, ‘हमने उपराज्यपाल से आग्रह किया है कि 571 करोड़ रुपए के सीसीटीवी घोटाले की सीबीआइ जांच कराई जाए। हमने उनके समक्ष सारे कागजात रखे।’ उन्होंने दावा किया, ‘सीसीटीवी परियोजना की लागत को 130 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 571 करोड़ कर दिया गया और मुख्यमंत्री व संबंधित मंत्री ने इसके लिए कहीं से मंजूरी भी नहीं ली। इसके लिए दो-दो बार निविदा निकाली गई और एक चहेती चीनी कंपनी को ठेका दे दिया गया।’ उन्होंने आरोप लगाया, ‘महिला सुरक्षा तो बहाना था, असली मकसद पैसा खाना था।’ माकन ने कहा कि हम इस मामले को लेकर सीवीसी और केंद्रीय गृह मंत्रालय के पास भी जाएंगे।

माकन ने कहा, ‘उपराज्यपाल ने कांग्रेस प्रतिनिधिमंडल को बताया कि उन्हें सीसीटीवी कैमरों को लेकर दिल्ली मंत्रीमंडल का कोई भी फैसला नहीं मिला है, जिससे यह साबित होता है कि सीसीटीवी लगाने का 571 करोड़ का टेंडर बिना उपराज्यपाल की मंजूरी और दिल्ली मंत्रिमंडल से पास हुए बिना दिया गया’। माकन ने केजरीवाल सरकार पर सीसीटीवी परियोजना में पैसे लेने का आरोप भी लगाया और जानना चाहा कि अगर इसमें पैसे का लेन-देन नहीं था तो आम आदमी पार्टी की सरकार चीन की सरकारी कंपनी को फायदा क्यों पहुंचाना चाहती थी। माकन पिछले कुछ हफ्तों में कई बार इस मुद्दे को उठा चुके हैं, हालांकि केजरीवाल सरकार और आम आदमी पार्टी ने उनके आरोपों को खारिज किया है।

सरकार की सफाई, सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी मंशा

राजधानी में सीसीटीवी कैमरे लगाने के मुद्दे पर चल रहे आरोप-प्रत्यारोप और बहस के बीच दिल्ली सरकार ने अपनी सफाई पेश की है और कहा है कि इस बारे में भ्रामक सूचनाएं फैलाई जा रही हैं, जबकि सरकार की मंशा लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करना है। निजता के हनन और सीसीटीवी की निगरानी व अन्य बिंदुओं पर सफाई देते हुए सरकार ने कहा कि यह झूठ योजना में देरी कराने के लिहाज से फैलाया जा रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री कार्यालय ने सोमवार को एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा कि क्या इस बात की कल्पना भी की जा सकती है कि सरकार लोगों के निजता के अधिकार के साथ समझौता करेगी? मानक परिचालन प्रक्रिया की जरूरत पर सरकार का कहना है कि हर कोई इस बात से अवगत है कि रिहायशी इलाकों में सीसीटीवी प्रवेश व निष्कासन द्वार, पार्किंग क्षेत्र या जहां निवासी चोरी जैसी घटनाओं की आशंका जताते हैं, वहां लगाया जाएगा। विधायक निधि से जहां भी सीसीटीवी लगाए गए हैं वहां लोगों ने निजता के हनन की एक भी शिकायत नहीं की है। ये सारे सीसीटीवी कैमरे निजी परिसर में नहीं बल्कि सार्वजनिक स्थानों पर लगाए गए हैं। मुख्यमंत्री कार्यालय ने कहा है कि यह बहुत ही दुखद है कि सीसीटीवी के मुद्दे पर बहस बेहद ही हल्के स्तर तक गिर गई है और इस योजना के खिलाफ काफी आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया जा रहा है।

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