17 हजार में एक इंसान के पास होता है ऐसा खून, यह बिना जाने अब तक कर चुका है 55 बार रक्तदान
17 हजार लोगों में किसी एक में पाया जाने वाला यह ब्लड ग्रुप दुर्लभ माना जाता है, लेकिन एक शख्स बिना इसे जाने लोगों को खून देता रहा। ब्लड ग्रुप ‘ओ निगेटिव’ को ‘बॉम्बे ब्लड ग्रुप’ भी कहा जाता है। खास बात यह है कि इस ब्लड ग्रुप वाले लोग यूनीवर्सल डोनर होते हैं यानी वे किसी को भी खून दे सकते हैं लेकिन सबसे खून ले नहीं सकते हैं। अगर जरूरत पड़ती है तो इस ग्रुप वाले व्यक्ति को इसी ग्रुप का खून दिया जाता है।
बेंगलुरु के आदित्य हेगड़े नियमित रक्तदाता है और अब तक 55 दफा रक्तदान कर चुके हैं। हेगड़े कहते हैं कि 2003 में उन्हें इस ब्लड ग्रुप के बारे में पता चला लेकिन यह इतना दुर्लभ है, इस बारे में जानकारी नहीं थी। माना जाता है कि दुनिया की आबादी में 0.0004% फीसदी लोग ही इस ब्लडग्रुप के होते हैं।
हेगड़े सिद्धपुर गांव के रहने वाले हैं। वह हुबली में पले-बढ़े हैं और यहीं से उन्होंने रक्तदान की शुरुआत की। वह कहते हैं कि जब उन्हें पता चला कि वो यूनिवर्सल डोनर हैं, तो उन्होंने गैर-सरकारी संस्थाओं में रक्तदान के लिए रजिस्ट्रेशन करा लिया। 2003 में ब्लड ग्रुप के बारे में पता लगने के बाद वह इसकी जानकारी जुटाने में लग गए। 2005 में बेंगलुरु आने के बाद नियमित तौर पर चलने वाली ब्लड बैंकों से जुड़कर नियमित रक्तदाता बन गया। हेगड़े विदेशियों के लिए भी रक्तदान कर चुके हैं।
हेगड़े कहते हैं कि आज सोशल मीडिया के कारण इस रक्तदान के प्रति जागरूकता बढ़ी है। उन्होंने याद करते हुए बताया कि एक 80 साल की बुजुर्ग महिला को दिल की बीमारी के चलते खून की जरूरत पड़ी थी तब उन्होंने रक्तदान किया। एक गर्भवती महिला की भी जान बचाई थी। बताते हैं कि हर बार रक्तदान करते वक्त उन्हें इस बात का एहसास होता है कि वह एक दुर्लभ ब्लड रखने वाली जमात से ताल्लुक रखते हैं। उन्होंने कहा वह इस बात से भी परिचित रहते हैं कि किसी हादसे की सूरत में उन्हें उन्हीं के ग्रुप वाले शख्स का खून चाहिए होगा। हाल ही में उनकी बाईं कोहनी में फ्रेक्चर हुआ था। तब वह सोच रहे थे कि अगर ऑपेशन हुआ तो खून कहां से लाएंगे। हेगड़े अपना खुद का कारोबार चलाते हैं और हर तीन महीने में मांग के अनुसार रक्तदान करते हैं।
इसलिए यह ब्लड ग्रुप माना है दुर्लभ
दूसरे ब्लड ग्रुप के मुकाबले ओ निगेटिव में लाल रुधिर कणिकाओं में एच एंटीजन की कमी होती है। इस ग्रुप में ए और बी एंटीजन भी नहीं होते हैं। एंटीजन का सीधा संबंध शरीर की प्रतिरोधक क्षमता से होता है।