दिल्ली: हड़ताल की घोषणा से दिवाली पर लग सकता है कूड़े का अंबार

समय पर वेतन, बकाया, डीए, बोनस, ट्यूशन फीस, मेडिकल कैशलेस सुविधाएं, 2013 तक निगम में लगे कर्मचारियों का नियमितीकरण और सेवानिवृत कर्मचारियों के अंतिम लाभांशों का भुगतान जैसी लंबित मांगों को लेकर दिवाली से पहले फिर हड़ताल की घोषणा से निगम के हाथ पांव फूल गए हैं। सफाई कर्मचारियों के लिए लड़ने वाले संगठनों ने धमकी दी है कि अगर मांगें नहीं मानी गर्इं तो बीते साल की तरह इस साल भी सड़कों पर कूड़ा फेंका जाएगा और इसकी जिम्मेदारी दिल्ली सरकार और नगर निगम की होगी। आल इंडिया वाल्मीकि यूथफ्रंट और भूमिहीन संघर्ष समिति के प्रधान पूर्व विधायक जयकिशन ने कहा कि इस बार आरपार की लड़ाई होगी।

कांग्रेस के सत्ता से हटते ही जिस प्रकार भाजपा और आम आदमी पार्टी ने सफाई कर्मचारियों, बेलदारों, माली और रिटायर हो रहे कर्मचारियों को सालों से रुलाना शुरू किया है, उसका बदला दिवाली पर फिर दिल्ली में गंदगी के अंबार के रूप में सामने आने वाला है। जयकिशन ने शनिवार को कार्यकर्ताओं की बैठक के बाद कहा कि राष्ट्रीय और राज्य के सफाई कर्मचारी आयोग अपनी आर्थिक स्थिति सुधारने में लगे हुए हैं। उन्हें सफाई कर्मचारियों की समस्याओं से कोई लेना-देना नहीं है। अगर ऐसा नहीं है तो वेतन नहीं मिलने और रिटायरमेंट के बाद की सुविधाओं से महरूम हो रहे लोगों और दिहाड़ी मजदूरी की तरह काम कर रहे कितने कर्मचारियों को अभी तक आयोग ने नियमित करने की कोशिश की। अगर उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो 16 अक्तूबर से बेमियादी हड़ताल होगी।

उधर, एमसीडी स्वच्छता कर्मचारी यूनियन के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष संजय गहलोत ने भी शनिवार को यूनियन के जारी अनिश्चितकालीन धरने के 276 वें दिन अपने सभी पदाधिकारियों, कार्यकर्ताओं को उचित दिशा निर्देश जारी करते हुए कहा कि निगम प्रशाशन और दिल्ली सरकार की हठधर्मी के चलते आज निगम कर्मचारी और अधिकारी भुखमरी के कगार पर हैं। विशेषकर सेवानिवृत कर्मचारी जिन्हें रिटायरमेंट के 3 साल पश्चात अभी तक कोई भी भुगतान और पेंशन नही दी जा रही। निगम प्रशासन के उच्चाधिकारियों से बातचीत करने पर उनका दो टूक जवाब की पूर्वी दिल्ली नगर निगम आर्थिक संकट से जूझ रहा है। इसकी बदहाली के चलते हम मजबूर हैं।

 

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