दिल्ली के लोगों को देना होगा बिजली का अधिक बिल
दिल्ली विद्युत विनियामक आयोग (डीईआरसी) ने गुरुवार को दिल्ली में बिजली के दामों में मामूली बढ़ोतरी की है। नई दरों के अनुसार 3 किलोवाट लोड से अधिक पर विद्यमान नियत प्रभार 100 रुपए से बढ़ाकर क्रमश: 105, 140 तथा 175 रुपए किया जा रहा है। सरचार्ज में 3.7 फीसद तथा नियत प्रभार में 5 फीसद से 75 फीसद तक की वृद्धि की गई है। निजी बिजली कंपनियां काफी समय से दाम बढ़ाने के लिए तरह-तरह की भूमिकाएं बांध रही थीं। उधर, बिजली के दामों में हुई बढ़ोतरी को लेकर दिल्ली में राजनीति शुरू हो गई है। दिल्ली भाजपा, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस और विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने दामों में हुई वृद्धि की निंदा की है। दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि दिल्ली ही नहीं देश में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब 3 साल में भी बिजली के दाम न बड़े हों। 3 फीसद का सरचार्ज लगाया गया है जो कि काफी कम है। अगर कोई 1,000 यूनिट खर्च करता है तो जाकर 200 देने होंगे। यह आप सरकार की बड़ी उप्लब्धि है। किसानों की मांग थी कि उन्हें मोटर चलाने के लिए 20 किलोवाट तक चाहिए जिसे सरकार ने मांग लिया है।
विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि केजरीवाल सरकार चुनावी वादों और निरंतर आश्वासनों के बावजूद भी शुक्रवार से दिल्लीवासियों के बिजली के बिल बढ़ने जा रहे हैं। डीईआरसी राजधानी में बिजली दरें बढ़ाने जा रहा है। तीनों बिजली कंपनियों ने इस वर्ष 21,624 करोड़ रुपए की औसतन राजस्व आवश्यकता (एआरआर) की मांग रखी है। इससे दिल्लीवासियों पर लगभग 1,250 करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार पड़ने जा रहा है। सरचार्ज में 3.7 फीसद तथा नियत प्रभार में 5 फीसद से 75 फीसद तक की वृद्धि की गई है। सब्सिडी मिलने पर कुछ मामूली फेरबदल हो सकता है।
विजेंद्र गुप्ता ने मुख्यमंत्री केजरीवाल और बिजली मंत्री सत्येंद्र जैन से जवाब मांगा कि जब उन्होंने दिल्लीवासियों को बार-बार आश्वासन दिया है कि किसी भी कीमत पर बिजली के दाम नहीं बढ़ने दिए जाएंगे तो वे यह बताए की अब प्रस्तावित 1,250 करोड़ रुपए की वृद्धि के बोझ से कैसे बचा जाएगा। विपक्ष के नेता ने कहा कि यदि बिजली की दरों में वृद्धि नहीं भी की जाती है, तब भी दिल्लीवासियों को सरचार्ज वृद्धि तथा निर्धारित दरों में वृद्धि का बोझ सहना होगा। उन्होंने कहा कि कान इधर से पकड़े या उधर से पकड़ें बात तो एक ही है। शुक्रवार से नई दरें लागू हो जाएंगी और दिल्ली के लोगों को अपनी जेब ढीली करनी होगी। दिल्लीवासियों को औसतन 5 फीसद तक का अतिरिक्त भार वहन करना होगा।