पूर्वी रेलवे महाप्रबंधक ने भागलपुर को नहीं दिया नए साल का कोई तोहफा, लोगों की उम्मीदें टूटीं
पूर्वी रेलवे के महाप्रबंधक हरेंद्र राव के जाते ही भागलपुर और आसपास के स्टेशन परिसर नाजायज दुकानों और जीआरपी व आरपीएफ के नाजायज ठेकेदारों से घिर गया। हरेंद्र सोमवार शाम झारखंड की नई बिछी रेल लाइन दुमका-भागलपुर का निरीक्षण करते हुए भागलपुर पहुंचे थे। हरेंद्र करीब साढ़े छह घण्टे यहां बिताने के बाद रात 10 बजे विशेष ट्रेन (सैलून) से हावड़ा के लिए रवाना हो गए। इस दौरान उनके साथ मालदा डिवीजन के डीआरएम मोहित सिन्हा भी थे। इन सबके बीच महाप्रबंधक ने आने वाले नए साल का भागलपुर को कोई तोहफा नहीं दिया, जिसकी यहां के लोगों को उम्मीद थी।
ट्रेनों और यात्रा सुविधाओं के मामले में रेलवे सालों से भागलपुर स्टेशन की उपेक्षा करता आया है। जबकि मालदा डिवीजन का भागलपुर स्टेशन कमाई में अव्वल है। रेल मंत्री या महाप्रबंधक के आगमन पर टेक्सटाइल चेंबर ऑफ कॉमर्स, यात्री संघ व दूसरे सामाजिक और व्यापारिक संगठन नई ट्रेनें चलाने, लंबित मागों को पूरा करने वगैरह को लेकर ज्ञापन सौंपते रहे हैं। पूर्व सांसद शाहनवाज हुसैन या वर्तमान सांसद शैलेश कुमार उर्फ वुलो मंडल अक्सर रेल मंत्री से दिल्ली में मिलकर भागलपुर की दिक्कतों से अवगत कराते रहते हैं। मगर ऐसा लगता है कि रेल मंत्री या रेलवे बोर्ड के कानों पर जूं तक नहीं रेंगती।
भागलपुर के लोगों की लंबे समय से मांग है कि गोहाटी-दिल्ली राजधानी ट्रेन को भागलपुर से होकर चलाया जाए। कलकत्ता और पटना के लिए भागलपुर से जनशताब्दी ट्रेन दी जाए। दिल्ली के लिए तेज गति की ट्रेन दी जाए। भागलपु -यशवंतपुर (बेंगलुरु ) के लिए एक दिन की बजाए तीन दिन ट्रेन चलाई जाए। भागलपुर-सूरत दो दिन की बजाए सातों दिन के लिए उपलब्ध हो। मुंबई के लिए हफ्ते भर ट्रेन चले। भागलपुर-साहबगंज का दोहरीकरण जल्द हो। भागलपुर-दुमका नई रेल लाइन पर हावड़ा के लिए जनशताब्दी सरीखी ट्रेनें चलें। इन मांगों का पुलिंदा इस बार भी महाप्रबंधक को दिया गया। लेकिन महाप्रबंधक इन सब पर मौन रहे।
दिलचस्प मगर तकलीफ की बात यह है कि नई ट्रेनें चलाने के बजाए भागलपुर-रांची एक्सप्रेस ट्रेन हमेशा के लिए 14 जून से बंद कर दी गई है। यह ट्रेन हफ्ते में तीन दिन चलती थी और इससे एक दिन में करीब डेढ़ हजार मुसाफिर सफर करते थे। लालू प्रसाद ने रेलमंत्री रहते हुए भागलपुर को रेलवे का डिवीजन बनाने का ऐलान किया था। इसके लिए बाकयदा एक ओसीडी की तैनाती भी हुई थी। उन्होंने छह महीने इस हैसियत से काम भी किया। महाप्रबंधक ने इस सन्दर्भ में भी कुछ नहीं कहा। वे बोले पूर्वी जोन में लंबित योजनाओं को पूरा करने के लिए 20 हजार करोड़ रुपए की जरूरत है। लेकिन बजट केवल 1400 करोड़ रुपए सालाना का है। ऐसे में प्राथमिकता के आधार पर योजनाओं का चयन किया जाता है।