चारा घोटाले में 89 लाख के फर्जीवाड़े में फैसला देते हुए अदालत ने कहा- लालू दोषी
चारा घोटाले के एक मामले में यहां की एक विशेष सीबीआइ अदालत ने बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व राजद प्रमुख लालू प्रसाद, पूर्व सांसदों आरके राणा, जगदीश शर्मा और तीन पूर्व आइएएस अधिकारियों सहित 16 आरोपियों को शनिवार को दोषी करार देते हुए जेल भेज दिया। अदालत तीन जनवरी को दोषियों के खिलाफ सजा सुनाएगी। साथ ही अदालत ने इसी मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, बिहार के पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद और बिहार विधानसभा की लोक लेखा समिति (पीएसी) के तत्कालीन अध्यक्ष ध्रुव भगत सहित छह लोगों को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया। लालू को इस मामले में लालू को अधिकतम सात साल की और न्यूनतम एक साल की सजा हो सकती है। अदालत के फैसले के बाद दोषी ठहराए गए सभी 16 लोगों को बिरसा मुंडा जेल भेज दिया गया। नौ सौ पचास करोड़ रुपए के चारा घोटाले से संबंधित देवघर कोषागार से 89 लाख, 27 हजार रुपए के फर्जीवाड़े के मामले से जुड़े इस मुकदमे में सीबीआइ के विशेष न्यायाधीश शिवपाल सिंह ने शाम पौने चार बजे फैसला सुनाया। उन्होंने सबसे पहले मिश्रा, निषाद, भगत, चौधरी, सरस्वती चंद्र और साधना सिंह को निर्दोष करार देते हुए बरी कर दिया। अदालत ने इसके बाद मामले के 22 आरोपियों में से शेष सभी 16 आरोपियों को दोषी करार दिया और उन्हें हिरासत में लेकर बिरसामुंडा जेल भेजने का निर्देश दिया। सजा सुनाए जाते ही लालू, शर्मा, आइएएस अधिकारी बेक जूलियस सहित अनेक लोगों के चेहरे पर मायूसी छा गई। उनके कई रिश्तेदारों व मित्रों की आंखें भी डबडबा गर्इं।
सीबीआइ की विशेष अदालत ने चारा घोटाले के इस मामले में लालू के अलावा सुशील कुमार सिन्हा, सुनील कुमार सिन्हा, राजाराम जोशी, गोपीनाथ दास, संजय अग्रवाल, ज्योति कुमार,सुनील गांधी, तीन पूर्व आइएएस अधिकारियों फूलचंद सिंह, जूलियस और महेश प्रसाद, पूर्व सांसदों राणा और शर्मा व चारा आपूर्तिकर्ता कृष्ण कुमार और त्रिपुरारी मोहन को दोषी करार दिया। इससे पहले चाईबासा कोषागार से 37 करोड़, सत्तर लाख रुपए की अवैध निकासी के चारा घोटाले के एक अन्य मामले में लालू, शर्मा, राणा, मिश्रा समेत शनिवार के मामले के कई आरोपी दोषी ठहराए जा चुके हैं। हालांकि हाई कोर्ट से उनको जमानत मिल गई थी। अदालत पहुंचे राजद सुप्रीमो ने मीडिया से कहा कि वे निर्दोष हैं और उन्हें न्यायपालिका से न्याय मिलने की आशा है। उन्होंने कहा कि भाजपा और अन्य ने उन्हें राजनीतिक विद्वेष की भावना से इस मामले में फंसाया है। उन्होंने कहा कि वे भाजपा से लड़ेंगे और उसकी नकारात्मक राजनीति का जवाब देंगे। वे किसी से डरते नहीं और राजद का प्रत्येक कार्यकर्ता लालू है लिहाजा मेरे जेल जाने या न जाने से पार्टी के अस्तित्व पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्हें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है लिहाजा वे निचली अदालत के फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील करेंगे जहां से उन्हें न्याय मिलने की पूरी उम्मीद है।
फैसले के तुरंत बाद लालू प्रसाद के ट्विटर हैंडल से किए गए ट्वीट में कहा गया, ‘ताकतवर लोगों और ताकतवर तबकों ने हमेशा से समाज को बांटा है और जब भी निचले तबके के किसी व्यक्ति ने इस अन्यायपूर्ण व्यवस्था को चुनौती दी है, उसे जानबूझकर सजा दी गई है।’ अदालत परिसर के बाहर राजद नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा, ‘कानूनी लड़ाई जारी रहेगी। हम हाई कोर्ट का रुख करेंगे। और कोई विकल्प नहीं है। इस मामले से कानूनी तौर पर लड़ने के अलावा पार्टी जनता के समक्ष भी जाएगी और इसे राजनीतिक तौर पर लड़ेगी।’
यह मामला वर्ष 1990 से 1994 के बीच देवघर कोषागार से अवैध तरीके से रुपए की निकासी से संबंधित है। सीबीआइ ने 27 अक्तूबर, 1997 को इस मामले में मुकदमा दर्ज किया था और लगभग 21 साल बाद फैसला सुनाया गया। मामले में कुल 38 लोगों को आरोपी बनाया गया था। इनमें से 11 की मौत हो चुकी है। तीन आरोपी सीबीआइ के गवाह बन गए जबकि दो ने अपना गुनाह कबूल कर लिया था जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गई थी। इसके बाद 22 आरोपी बच गए थे, जिनको लेकर यह फैसला सुनाया गया।