फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने एक टेरावॉट( टीडब्लू) की सौर बिजली क्षमता को हासिल करने के लिए 1,000 अरब डॉलर की जरूरत
फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने रविवार को कहा कि 2030 तक एक टेरावॉट( टीडब्लू) की सौर बिजली क्षमता को हासिल करने के लिए 1,000 अरब डॉलर की जरूरत होगी। एक टेरावॉट 1,000 गीगावाट के बराबर होता है। अंतरराष्ट्रीय सौर गठजोड़ (आइएसए) के संस्थापन सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संबोधित करते हुए मैक्रों ने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने में वित्त और नियामकीय अड़चनें हैं। इन अड़चनों को सरकार, निजी क्षेत्र और समाज को मिलकर दूर करना होगा। किसी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि कई देश ऐतिहासिक पेरिस जलवायु करार से अलग हो गए हैं। आइएसए देशों को एक साथ आकर पूर्ण नतीजे देने होंगे।
मैक्रों का इशारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की ओर था, जिन्होंने पेरिस जलवायु करार से बाहर निकलने की घोषणा की है। इस पर दिसंबर, 2015 में करीब 200 देशों ने हस्ताक्षर किए थे। इस करार का मकसद वैश्विक स्तर पर ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन में कमी लाना और ग्लोबल वार्मिंग को दो डिग्री सेल्सियस तक सीमित करना है। पिछले साल नवंबर में सीरिया ने भी इस करार पर हस्ताक्षर किए थे।
मैक्रों ने कहा कि आइएसए देश वित्तपोषण तो लाएंगे ही, साथ ही वे विशेषज्ञता को भी साझा करेंगे। वित्तपोषण के बारे में मैक्रों ने कहा कि फ्रांसीसी विकास एजंसी 2022 तक सौर ऊर्जा के लिए अपनी प्रतिबद्धता में 70 करोड़ यूरो अतिरिक्त आवंटित करेगी। इससे उसकी कुल प्रतिबद्धता एक अरब यूरो पर पहुंच जाएगी। उन्होंने कहा कि 2030 तक एक टीडब्ल्यू सौर ऊर्जा के लिए 1,000 अरब डॉलर की जरूरत होगी। इसके लिए निजी निवेशकों को आगे आना होगा।