चुनाव आयोग में ‘आप’ के 20 विधायकों के खिलाफ सुनवाई शुरू
आम आदमी पार्टी (आप) के 20 विधायकों की अयोग्यता को लेकर चुनाव आयोग ने गुरुवार से फिर से सुनवाई शुरू कर दी। इस दौरान इन विधायकों ने मांग की कि उन्हें दिल्ली सरकार एवं राज्य विधानसभा के अधिकारियों से जिरह की अनुमति दी जाए ताकि वह यह सिद्ध कर सकें कि संसदीय सचिव के रूप में उनकी नियुक्ति लाभ के पद के दायरे में नहीं आती। आयोग ने इस मामले में सुनवाई इसलिए फिर बहाल की क्योंकि दिल्ली हाई कोर्ट ने कथित लाभ के पद के कारण विधायकों को अयोग्य ठहराने के आदेश को खारिज कर मामले की नए सिरे से सुनवाई करने को कहा था। विधायकों ने आयोग के समक्ष दाखिल अर्जी में कहा कि वे दिल्ली विधानसभा के सचिव और दिल्ली सरकार के कानून एवं लेखा विभाग के अधिकारियों से जिरह करना चाहते हैं।
इस जिरह के जरिए वह इस बात की पुष्टि करना चाहते हैं कि क्या उन्होंने अपने काम के जरिए कोई लाभ अर्जित किया, सरकारी कार का इस्तेमाल किया और अपने दायित्वों को निभाते हुए कार्यालय स्थल का उपयोग किया या नहीं। उन्होंने शिकायतकर्ता प्रशांत पटेल से भी जिरह करने की मांग की। अधिकारियों ने लाभ के पद के मुद्दे पर चुनाव आयोग के समक्ष दस्तावेज दाखिल किए हैं।
विधायकों की मांग को लेकर पटेल ने बताया कि मैंने उनके अनुरोध का विरोध किया। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कहा कि सुनवाई पूरी तरह से लाभ के पद के मुद्दे पर होनी चाहिए। यह दिवानी अदालत नहीं है जहां जिरह हो। उन्होंने दावा किया कि चुनाव आयोग भी जिरह के पक्ष में नहीं है। आयोग में दलील 21 मई को जारी रहेगी। उच्च न्यायालय ने कहा था कि चुनाव आयोग की राय और उसके बाद जारी की गई अधिसूचना को खारिज किया जाता है। आयोग में प्रक्रिया वहां से जारी रहेगी जहां गलती हुई थी। संसदीय सचिव नियुक्त किए गए विधायकों ने उन्हें अयोग्य घोषित करने के फैसले को चुनौती दी थी। दिल्ली सरकार ने मार्च 2015 में उन्हें मंत्रियों को संसदीय सचिव नियुक्त किया था। इसीलिए बाद उन्हें लाभ के पद का आरोपी बनाया गया।