शिमला में भीषण जल संकट, जजों और मंत्रियों के यहाँ भी पानी नहीं, हाई कोर्ट लेगा बूंद-बूंद का हिसाब

शिमला में जल संकट बढ़ता ही जा रहा है। अब यहां तमाम वीवीआईपी और वीआईपी को टैंकर से पानी सप्लाई पर रोक लगा दी गई है। हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री और राज्यपाल को अभी भी टैंकर के जरिए पानी की सप्लाई दी जा रही है। शायद पहली बार इतने बड़े पैमाने पर जल संकट का सामना कर रहे शिमला को लेकर हाईकोर्ट ने सख्त फरमान सुनाया है। मंगलवार (29 मई) को हाईकोर्ट ने कहा कि अदालत नगर निगम से हर रोज बूंद-बूंद पानी का हिसाब लेगा। इतना ही नहीं अपने बेहद ही कड़े आदेश में हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने साफ कहा कि राज्यपाल और राज्य के सीएम को छोड़कर किसी को भी टैंकरों से पानी की सप्लाई नहीं की जाएगी।

अब हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद मुख्य न्यायाधीश, अन्य न्यायाधीश, मंत्री, विधायक, पुलिस अफसर एवं अन्य सरकारी अफसरों को टैंकर से पानी नहीं मिलेगा। अदालत ने राज्य में मौजूद जल संकट को लेकर सरकार को सेना से तुंरत संपर्क करने को कहा है। पानी की स्थिति सुधऱने तक यहां सभी कार वॉशिंग सेंटर बंद रहेंगे, किसी भी तरह का कोई कंस्ट्रक्शन नहीं होगा। इसके अलावा अनाडेल में गोल्फ कोर्स में घास की सिंचाई के लिए इस्तेमाल होने वाला पानी भी अब शहर के लोगों के बीच बांटा जाएगा।

हाईकोर्ट ने शिमला में आम लोगों से पानी की बर्बादी रोकने के लिए कहा है। हालात यह है कि यहां पेयजल संकट को लेकर मुख्य सचिव हर घंटे व्यक्तिगत तौर पर समीक्षा कर रहे हैं।आपको बता दें कि शिमला देश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। देश-विदेश से सैलानी यहां गर्मियों की छुट्टियों मे अक्सर आते हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से यहां जल संकट ने सैलानियों को मुश्किल में डाल रखा है।

होटलों में ठहरे सैलानियों को भी इस्तेमाल के लिए पानी मिलने में काफी दिक्कतें आ रही हैं। पहाड़ों की रानी शिमला में पानी की कमी की वजह से यहां के बाशिंदे सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि प्राइवेट ऑपरेटरों ने पानी के रेट दोगुने कर दिए हैं.4000 लीटर क्षमता वाले जिस टैंकर का रेट पहले 2500 रुपये था उसका 5000 रुपये तक वसूला जा रहा है।

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