बिहार: बालिका गृह से नेता-अफसर को सप्लाई होती थी लड़की, ऑडिट में हुआ खुलासा
बिहार के एक बालिका गृह में यौन शोषण का सनसनीखेज मामला सामने आया है। मुंबई की टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की ओर से जारी सोशल ऑडिट रिपोर्ट में यौन शोषण के घिनौने खेल का खुलासा हुआ है। रिपोर्ट के अनुसार, मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में रहने वाली युवतियों को नेताओं से लेकर अधिकारियों तक के घरों में भेजा जाता था। बालिका गृह को सील कर दिया गया और यहां रहने वाली लड़कियों को पटना और मधुबनी स्थानांतरित कर दिया गया है। यहां 87 लड़कियों के रहने की बात सामने आई है। बता दें कि बालिका गृह का संचालन ‘सेवा संकल्प एवं विकास समिति’ नामक गैरसरकारी संस्था करती है। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट के आधार पर जिला बाल कल्याण संरक्षण विभाग की नींद खुली। विभाग के सहायक निदेशक ने स्थानीय महिला थाने में एनजीओ के संचालक और अन्य के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। बालिका गृह में नाबालिगों के होने के कारण पॉक्सो कानून की धाराएं भी लगाई गई हैं। पुलिस ने इस मामले में 8 लोगों को गिरफ्तार किया है। इस पूरे गोरखधंधे का सरगना ब्रजेश ठाकुर नामक व्यक्ति बताया जा रहा है। पूछताछ में समाज कल्याण विभाग के कई अधिकारियों और नेताओं के भी संलिप्त होने की बात सामने आई है।
समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित बालिका गृह: टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने हाल में ही समाज कल्याण विभाग द्वारा संचालित संस्थाओं की सोशल ऑडिट रिपोर्ट विभाग के निदेशक को सौंपी थी। इस रिपोर्ट में मुजफ्फरपुर स्थित बालिका गृह में यौन उत्पीड़न का खुलासा किया गया था। टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस ने विभाग से संबंधित एनजीओ के खिलाफ तत्काल कार्रवाई करने के साथ ही ठोस कदम उठाने की भी सिफारिश की है, ताकि भविष्य में इस तरह की वारदात सामने न आए। मालूम हो कि विभाग बालिका गृह का संचालन पंजीकृत एनजीओ के जरिये भी कराता है।
छुट्टी के बावजूद खुला था कोर्ट: मामले की गंभीरता को इसी से समझा जा सकता है कि पीड़िताओं का बयान दर्ज करने के लिए रविवार (3 जून) को भी कोर्ट खोला गया था। इससे पहले 2 जून को पुलिस ने पूरी रात लड़कियों से पूछताछ की। इसका लाइव प्रसारण किया गया था, जिसकी निगरानी पुलिस के आलाधिकारी खुद कर रहे थे। पीड़िताओं द्वारा जानकारी देने के बाद पुलिस ने बालिका गृह की तलाशी ली थी, जिसमें कई आपत्तिजनक सामग्रियां मिली हैं। मामले की जानकारी मिलने के बाद महिला आयोग की पूरी टीम 3 जून को मुजफ्फरपुर पहुंच कर छानबीन की। पीड़िताओं का कहना है कि उन्हें पटना के बड़े होटलों में भी ठहराया जाता था।