माओवादी हमले की योजना की खबरों के बाद प्रधानमंत्री की सुरक्षा बढ़ाई गईः राजनाथ सिंह
गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर माओवादी हमले की योजना की खबरों के बाद उनकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। उन्होंने कहा, ‘हम नहीं जानते कि कौन क्या योजना बना रहा है और उनकी योजना किस स्तर पर है। हमें पूरी एहतियात बरतने की जरूरत है। मैंने प्रधानमंत्री की सुरक्षा की समीक्षा करने के लिए पहले ही एक समिति का गठन कर दिया है और यह निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। कुछ सूचनाएं मिलने के बाद हमने उनकी सुरक्षा बढ़ा दी है।’ एक पत्रिका को दिए साक्षात्कार में सिंह ने कहा, ‘मोदी ने उन्हें होने वाले खतरे के बारे में कुछ नहीं कहा लेकिन गृह मंत्री के तौर पर मैंने उनकी सुरक्षा बढ़ाने की पहल की है। वे देश के प्रधानमंत्री हैं और उनकी सुरक्षा हमारी जिम्मेदारी है’। गौरतलब है कि प्रतिबंधित भाकपा (माओवादी) से संबंध रखने के लिए गिरफ्तार पांच लोगों में से एक घर में कथित तौर पर एक पत्र मिला है जिसमें यह बात लिखी गई है कि माओवादी ‘एक और राजीव गांधी घटना’ को अंजाम देने की योजना बना रहे हैं।
भारत में आंतरिक सुरक्षा की स्थिति के बारे में एक सवाल के जवाब में मंत्री ने कहा कि जहां तक पूर्वोत्तर में उग्रवाद का संबंध है तो सुरक्षा की समस्या सामान्य हुई है और इस में 95 फीसद सुधार हुआ है। उन्होंने कहा कि जहां तक वामपंथी चरमपंथ का सवाल है तो इसमें 55-66 फीसद सुधार हुआ है। चरमपंथ की 75 फीसद समस्या केवल दस जिलों में है। अल्पसंख्यकों में कथित तौर पर अलगाव की बढ़ती भावना पर एक सवाल के जवाब में सिंह ने कहा कि किसी को भी जाति, धर्म या पंथ के आधार पर भेदभाव का शिकार होने नहीं दिया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘जब भी धर्म की बात आती है तो भारत ने जिस तरह की सहिष्णुता दिखाई है, मुझे नहीं लगता कि दुनिया में कहीं भी ऐसी सहिष्णुता दिखाई गई। हमारी नीति सभी को न्याय दिलाने और किसी का भी तुष्टीकरण न करने की है। भाजपा के पास अल्पसंख्यकों का समर्थन भी है’।
असहिष्णुता की बढ़ती घटनाओं पर सिंह ने कहा कि भीड़ द्वारा पीट पीटकर हत्या करने की कुछ घटनाएं हुई लेकिन यह इतने बड़े देश में इतनी अधिक घटनाएं नहीं है। यह पहले भी होती रही हैं।
उन्होंने कहा कि कानून एवं व्यवस्था की स्थिति राज्य का विषय है और केंद्र ऐसे मामलों में सख्ती बरतने के लिए समय-समय पर राज्यों को परामर्श जारी करता है। उन्होंने कहा, ‘हमने राज्य सरकारों को ऐसी घटनाओं को बेहद गंभीरता से लेने के लिए कहा है’। लंबे समय से लंबित नगा समझौते पर गृह मंत्री ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि एक दिन यह समझौता जरूर होगा। उन्होंने कहा, ‘हमारी कोशिश अंतिम हल तक पहुंचने की है और हम लोकसभा चुनाव से पहले अंतिम समझौता होने की संभावना से इनकार नहीं कर सकते’। उन्होंने सरकार द्वारा हिंदी थोपे जाने की कोशिश को खारिज करते हुए कहा कि भारत बहुभाषी देश है और हम कुछ भी थोप नहीं सकते।