विशेषज्ञ बोले – एनटीए सही दिशा में उठाया गया कदम

विभिन्न पात्रता परीक्षाओं के आयोजन के लिए मानव संसाधन विकास (एचआरडी) मंत्रालय ने राष्ट्रीय परीक्षा एजंसी यानी एनटीए की शुरुआत की है। एनटीए दिसंबर में यूजीसी-नेट के रूप में अपनी पहली परीक्षा का आयोजन करेगी। शिक्षा विशेषज्ञों ने इसे परीक्षा आयोजन के क्षेत्र में सही दिशा में उठाया गया कदम करार दिया है। उनका मानना है कि इससे परीक्षाओं की गुणवत्ता में वृद्धि के साथ वे अभ्यार्थियों के अनुकूल होंगी और परिणाम भी समय से घोषित किए जाएंगे। इससे केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) का बोझ कम होगा।

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) कानुपर में कंप्यूटर साइंस व इंजीनियरिंग के प्रोफेसर धीरज सांघी ने एचआरडी मंत्रालय की ओर से एनटीए की शुरुआत का स्वागत किया। उन्होंने बताया कि इस तरह की एक एजंसी की बहुत समय से जरूरत महसूस की जा रही थी जो विभिन्न पात्रता परीक्षाओं का आयोजन करे। अभी तक इन परीक्षाओं का आयोजन सीबीएसई कर रहा था। इसकी वजह से एक तो सीबीएसई पर काम का बोझ बढ़ गया था। इसके अलावा स्कूल परीक्षाओं व विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षाओं में अंतर होता है। दोनों के लिए अलग-अलग विशेषज्ञता की जरूरत होती है, जो अब पूरी होगी। प्रोफसर सांघी के मुताबिक, मेरे जैसे बहुत सारे लोग काफी समय से कह रहे हैं कि परीक्षाओं का आयोजन एक से अधिक बार

एहल्कॉन इंटरनेशनल स्कूल के प्राधानाचार्य अशोक पांडे ने बताया कि यह बहुत अच्छा कदम है। उन्होंने बताया कि जब हमारे पास परीक्षा की अलग एजंसी होगी तो वह परीक्षाओं पर बेहतर ढंग से ध्यान दे पाएगी। इसके अलावा यह एजंसी आॅनलाइन परीक्षाओं का आयोजन कराएगी जिसका फायदा अंत में विद्यार्थियों को ही होगा। एनटीए साल में दो बार परीक्षाओं का आयोजन कराएगी, इससे अभ्यर्थी अपनी सुविधानुसार परीक्षा दे पाएंगे। इससे परीक्षाओं की गुणवत्ता में और उनकी दक्षता में सुधार के साथ समय से परिणाम आने में भी मदद मिलेगी।

प्रोफेसर सांघी ने एनटीए को कुछ सुझाव भी दिए हैं। उनका कहना है कि परीक्षा एक विज्ञान है और इसके लिए मजबूत अनुसंधान की जरूरत होती है। सिर्फ प्रश्नपत्र बनाना ही नहीं बल्कि किस तरह के सवाल पूछे जाएं, इस पर भी गहराई से शोध होना चाहिए। इसके अलावा परीक्षा के परिणाम पर भी शोध होना चाहिए। अगर किसी सवाल का जवाब अधिकतर बच्चे गलत देते हैं तो इसके पीछे की वजह क्या है? क्या बच्चे इसे समझ नहीं पाए या उनके शिक्षक उन्हें बेहतर तरीके से समझा नहीं पाए? आदि। इसके अलावा अलग-अलग परीक्षाओं के लिए शोध के आधार पर नए सवाल भी तैयार किए जा सकते हैं।

होना चाहिए। अब एनटीए जेईई मेंस और नीट जैसी परीक्षाओं का साल में दो बार आयोजन करेगी, जो एक बेहतर पहल है।

 

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