सफदरजंग अस्पताल में सीनियर टेक्नीशियन के बिना चल रहे 7 ऑपरेशन थिएटर
राजधानी के सफदरजंग अस्पताल में रोजाना करीब 400 छोटे-बड़े ऑपरेशन किए जाते हैं, लेकिन यहां एक भी ओटी (ऑपरेशन थिएटर) सुपरवाइजर नहीं है। यहां के करीब सात ऑपरेशन थिएटर बिना सीनियर टेक्नीशियन के चलते हैं और इसके चार पद खाली पड़े हैं। अस्पताल में फिलहाल केवल 170 ओटी टेक्नीशियन हैं, जोकि जरूरत के लिहाज से काफी कम हैं। अस्पताल में हाल ही में हुई करीब 150 कर्मचारियों की भर्ती व उनकी डिग्रियां भी सवालों के घेरे में है। सफदरजंग अस्पताल के ओटी तकनीकी कर्मचारियों ने एक कार्यक्रम में ये सभी मुद्दे उठाए। यह कार्यक्रम दूसरे राष्ट्रीय तकनीकी दिवस के मौके पर आयोजित किया गया था। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि चिकित्सा अधीक्षक डॉ राजेंद्र प्रसाद ने कहा कि कर्मचारियों की सभी मांगों को स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने उठाया जाएगा।
तकनीकी कर्मचारी संगठन के महासचिव मुर्तजा अली ने आरोप लगाया कि नए खुले इमरजंसी ब्लॉक और सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक के लिए जिन 150 तकनीकी कर्मचारियों की भर्ती हुई है, उसमें योग्यता के लिहाज से काफी खामी बरती गई है। उन्होंने चिकित्सा अधीक्षक को पत्र लिखकर इस भर्ती की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि वेतनमान कम होने की वजह से बेहतर तकनीकी प्रशिक्षण वाले लोग नहीं मिल रहे हैं। इसलिए सुविधा शुल्क लेकर फर्जी डिग्री वाले लोगों की कम वेतन पर भर्ती की गई। इनकी डिग्रियों की जांच-पड़ताल भी नहीं की गई। नए भर्ती हुए कर्मचारियों को 12 या 13 हजार वेतन दिया जा रहा है, जोकि सुरक्षाकर्मी के वेतन से भी कम है, जिन्हें कुल 18000 रुपए वेतन मिलता है। उन्होंने कहा कि तकनीकी कर्मचारियों के पास विज्ञान व तकनीकी शिक्षा की डिग्री होनी चाहिए। वह भी फिजिक्स, केमिस्ट्री और बायोलॉजी में 60 फीसद अंकों के साथ। तकनीकी कर्मचारी संगठन के सहसचिव राजवीर गौड़ ने कहा कि अस्पताल में ओटी तकनीकी कर्मचारियों पर काम का बोझ बहुत ज्यादा है। फिर भी पांचवें वेतन आयोग की सिफारिशों को अभी तक लागू नहीं किया है।
केंद्र सरकार की स्वास्थ्य सेवा (सीजीएचएस) के तहत समान शिक्षा व डिग्री वाले ओटी तकनीकी कर्मचारियों का वेतनमान 4200 रुपए है, जबकि सफदरजंग में उन्हीं कर्मचारियों का वेतनमान 2400 रुपए है। इस दौरान अस्पताल के ओटी प्रभारी राजेंद्र सिंह ने भी तकनीकी कर्मचारियों की समस्याएं उठार्इं। एसोसिएशन की संघर्ष समिति के प्रधान उमेश शर्मा और ब्रह्म प्रकाश ने कहा कि हर ओटी में कम से कम एक सीनियर टेक्नीशियन होना चाहिए, लेकिन यहां छह-सात ओटी बिना सीनियर टेक्नीशियन के चलते हैं। सीनियर टेक्नीशियन के चार पद भी सालों से खाली पड़े हैं। इसके अलावा कर्मचारियों ने चिकित्सा जैसे अहम क्षेत्र के लिए ठेके पर भर्ती नहीं करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि ठेका कर्मचारियों में जिम्मेदारी का भाव नहीं होता है, इसलिए वे काम में लापरवाही बरतते हैं, जोकि मरीजों के लिए नुकसानदेह हो सकता है।