संसद मार्च में किसानों ने दिखाया ‘अविश्वास प्रस्ताव’

अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्यवय समिति (एआइकेएससीसी) के बैनर तले 20 राज्यों के सैकड़ों किसान संगठन के पांच हजार से ज्यादा लोगों ने शुक्रवार को दिल्ली के मंडी हाउस से लेकर संसद मार्ग तक मार्च कया। किसान नेताओं ने फसलों के न्यूनतम खरीद मूल्य (एमएसपी) पर सरकार के दावे को खारिज कर दिया है। साथ ही समिति ने सरकार से किसानों के मुद्दे पर चर्चा के लिए दो दिनों का विशेष अधिवेशन बुलाने की भी मांग की। शुक्रवार को रैली निकाल प्रदर्शनकारियों ने सरकार पर दस आरोप जड़े।

संसद में जब सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर बहस हो रही थी संसद मार्ग में किसान नेता सरकार के कथनी और करनी में अंतर का चिट्ठा खोल रहे थे। इसमें कई दलों के नेताओं ने भी शिरकत की। इस मौके पर एआइकेएससीसी के बैनर तले जिन लोगों ने शिरकत की उनमें मेधा पाटेकर, सीताराम यचुरी, दीपांकर भट्टाचार्या, शिवसेना के नेता अरविंद सावंत, शरद यादव, योगेंद्र यादव, राजू शेट्टी, डॉ सुनिलम, हनान मौलाह, तेजेंद्र विक्र, अविक साहा सहित कई चर्चित लोग शामिल थे। वक्ताओं ने कहा- आज देश में किसान और किसानी पर संकट आया हुआ है। अपनी फसल की रिकार्ड पैदावार करने के बाद भी किसान बेहद दुखी व निराश है।

इसका कारण फसल का उचित दाम न मिलना व सरकार की उदासीनता है। योगेंद्र यादव ने जिन दस मुद्दों पर सरकार को घेरा उनमें स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों को पूरी तरह से लागू नही किया जाना, गन्ने की बंपर पैदावार के बावजूद विदेशों से चीनी मंगवाया जाना, आयात-निर्यात में किसान को कभी मदद नहीं किया जाना, आदिवासी किसान के जल-जंगल जमीन को छिना जाना, मनरेगा, नोटबंदी आदि मुद्दे शामिल हैं। योगेंद्र यादव ने कहा-अगर केंद्र सरकार वाकई किसान हितैषी है तो आगामी तीन अगस्त को किसानों को सभी प्रकार के कर्जे से मुक्त कर दे।

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