2016 में बना था पीएचडी एंट्री पर नियम, एचआरडी मंत्री जावड़ेकर को पता ही नहीं
केंद्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने गुरुवार (26 जुलाई, 2018) को संसद में पीएचडी/एमफिल एंट्री पर नियम से जुड़ी जानकारी मांगी, जिसे मंत्रालय की मंजूरी के बाद साल 2016 में संसद में अधिसूचित किया था। दरअसल राज्यसभा सासंद मनोज झा ने सदन में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के नियम से जुड़ा सवाल पूछा था। जिसमें कथित तौर पर कहा गया कि सामान्य और आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को मौखिक साक्षात्कार के लिए लिखित प्रवेश परीक्षा में कम से कम 50 फीसदी अंकर जरूर लाने होंगे। हालांकि सच्चाई यह है कि सभी बड़ी प्रवेश परीक्षाओं में जैसे आईआईटी और आईआईएम में दाखिला लेने वाले दलित, आदिवासी और ओबीसी छात्रों के लिए अंकों में छूट दी गई है।
आरजेडी सांसद द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, ‘सांसद ने यहा मुद्दा उठाया है। अगर वह इसकी जानकारी साझा करते हैं तो मैं पूछताछ करुंगा और मामले में न्याय किया जाएगा।’ जबकि यह विनियमन यूजीसी की वेबसाइट पर 13 जुलाई, 2016 को प्रकाशित हुआ था। यह तब प्रकाशित हुआ था जब प्रकाश जावड़ेकर ने पूर्व केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से आठ दिन बाद मंत्रालय का चार्ज लिया था।
इसके अलावा प्रकाश जावड़ेकर ने डिग्री कॉलेजों में खाली पड़ी शिक्षकों के रिक्त पदों पर जवाब दिया। उन्होंने कहा कि देश के सभी डिग्री कॉलेजों में शिक्षकों के खाली पदों को तीन साल में भर लिया जाएगा। जावड़ेकर ने विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) के आंकड़ों के हवाले से बताया कि ग्रामीण क्षेत्र में कुल 19732 महाविद्यालयों के 6,80,924 स्वीकृत पदों में 1,37,298 पद (20.1 प्रतिशत) पद रिक्त हैं। शहरी क्षेत्र के 15,108 महाविद्यालयों में 5,71356 स्वीकृत पदों में 1,68,719 पद (29.5 प्रतिशत) रिक्त हैं।
उन्होंने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) अधिनियम के तहत स्थापित महाविद्याल संबद्ध राज्य सरकार के प्रशासनिक क्षेत्राधिकार में आते हैं। इसलिये केन्द्र सरकार या यूजीसी राज्य विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों की भर्ती प्रक्रिया में दखल नहीं दे सकता है।