RBI में संघ की एंट्री, एस गुरुमूर्ति और सतीश मराठे को बोर्ड में जगह

मोदी सरकार में संघ से जुड़े लोगों काफी तरजीह दी जा रही है। कुछ ही दिनों पहले संघ प्रचारक राकेश सिन्हा को राज्यसभा सदस्य के रूप में मनोनित किया गया। अब पेशे से चार्टेड अकाउंटेड, स्वदेशी जागरण मंच के सह-संयोजक और लंबे समय तक संघ से जुड़े रहने वाले स्वामीनाथन गुरुमूर्ति को भारतीय रिजर्व बैंक के डॉयरेक्टर बोर्ड में शामिल किया गया है। मंगलवार की शाम को जारी एक नोटिफिकेशन के अनुसार, सरकार ने एस गुरुमूर्ति को भारतीय रिजर्व बैंक के नॉन ऑफिशियल और पार्ट टाइम डॉयरेक्टर के रूप में नियुक्त किया। इनका कार्यकाल नियुक्ति की अधिसूचना जारी होने तिथि से चार साल के लिए होगा। यह आरबीआई एक्ट 1934 के अनुच्छेद 8(1)(C) के तहत किया गया है। गुरुमूर्ति के साथ ही संघ से जुड़े सतीश काशीनाथ मराठे को भी आरबीआई के नॉन ऑफिशियल पार्ट टाईम डाॅयरेटक्टर के रूप में नियुक्त किया गया है।

गुरुमूर्ति के आरबीआई बोर्ड में डॉयरेक्टर के रूप में नियुक्त होने के पीछे की वजह उनका राजनीतिक पकड़ और पहुंच है। वे एक चार्टेड अकाउंटेंट, अर्थशास्त्री और राजनीतिक व आर्थिक मामलों के टिप्पणीकार हैं। इसके साथ ही वह राष्ट्रीय सेवक संघ से जुड़े हुए हैं तथा भाजपा सरकार और पीएम मोदी के एक बड़े समर्थक के रूप में उनकी पहचान है। उन्होंने नोटबंदी का समर्थन किया था। साथ ही वे अपने ट्वीटर अकाउंट पर अक्सर रिजर्व बैंक से जुड़ी नीतियों के बारे में लिखते रहते हैंं।

वहीं, सतीश मराठे का बैंकिंग के क्षेत्र में एक लंबा अनुभव है। वे सहकार भारती जो कि एक गैर सरकार संगठन है और कॉपरेटिव के मदद के लिए काम करती है, के संस्थापक हैं। बैंक ऑफ इंडिया के साथ काम शुरू करने के बाद वे द यूनाइटेड वेस्टर्न बैंक लि. के अध्यक्ष बनें। वर्ष 1991 के सितंबर माह में उन्हें जनकल्याण सहकारी बैंक लि. के चीफ एक्सक्यूटिव ऑफिसर के रूप में नियुक्त किया गया। फिलहाल वह थाने भारत सहकारी बैंक लि. और राजकोट नागरिक सहकारी बैंक लि. में अपनी सेवा दे रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने उन्होंने इंडियन बैंक एसोसिएशन के मानद सचिव और निजी क्षेत्र बैंक एसोसिएशन के उपाध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया है। अपने युवावस्था में मराठे राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के छात्र ईकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़े थे। उन्होंने चार साल तक कोषाध्यक्ष के रूप में कार्य किया। जब उनसे पूछा गया कि वे रिजर्व बैंक के सेंट्रल बोर्ड में क्या करना चाहेंगे, उन्होंने कहा कि मेरे पास सहकारी क्षेत्र की मजबूत पृष्ठभूमि है। मैंने 40 से अधिक वर्षों से इसमें काम किया है। हमें ग्रामीण और कृषि क्षेत्रों में बहुत कुछ करने की जरूरत है।

बता दें कि भारतीय रिजर्व बैंक सेंट्रल बोर्ड दो भागों में विभाजित है- ऑफिशियल और नॉन ऑफिशियल। अाॅफिशियल डायरेक्टर में गर्वनर होते हैं। साथ ही अधिक से अधिक चार डिप्टी गर्वनर हो सकते हैं। वहीं, इसके साथ ही आरबीआई एक्ट के अनुसार, नॉन ऑफिशियल में 10 डॉयरेटक्टर को सरकार द्वारा मनोनित किया जा सकता है। इधर कुछ वर्षों में सरकार द्वारा मनोनित डॉयरेक्टर्स में वैसे अथशास्त्रियों व उद्योगपतियों को शामिल किया जाता है, जो सरकार के करीबी होते हैं।

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